आखिर टूट ही गया महागठबंधन नीतीश ने मिलाया BJP से हाथ

Sunday, Jan 19, 2025 | Last Update : 08:49 PM IST

आखिर टूट ही गया महागठबंधन नीतीश ने मिलाया BJP से हाथ

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 दिन पहले राज्यपाल से मुलाकात करने के बाद अपना इस्तीफा उनको दे दिया था, और 20 महीने से चल रही महागठबंधन जिसमें तीन पार्टियां शामिल थी- जेडीयू-कांग्रेस-आरजेडी।
Jul 29, 2017, 8:53 am ISTNationAazad Staff
नीतीश ने मिलाया BJP से हाथ
  नीतीश ने मिलाया BJP से हाथ

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने २ दिन पहले राज्यपाल से मुलाकात करने के बाद अपना इस्तीफा उनको दे दिया था, और २० महीने से चल रही महागठबंधन जिसमें तीन पार्टियां शामिल थी-
जेडीयू-कांग्रेस-आरजेडी। इन तीनों सरकार का वही खात्मा हो गया। असल में करीबन १५ दिन से बिहार में सियासी खींचातानी बहुत जोरों से चल रही थी। लालू यादव के बेटे और बिहार में डिप्टी सीएम तेजस्वी  पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, और यह आरोपों के विवाद काफी दिन से चल रहे थे।

अब हम आपको बताते हैं कि असल में इसके पीछे की कहानी क्या है?
यह कहानी करीबन राष्ट्रपति चुनाव से ही शुरु हो गई थी। जब महागठबंधन हुआ था, तब सब ने इस बात पर सहमति दी थी कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सब की एक राय मानते हुए एक उम्मीदवार घोषित किया जाएगा परंतु नीतीश ने  एनडीए (NDA) के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का फैसला कर दिया। जिसकी वजह से विपक्ष बहुत ही निराश हुआ। जिसकी वजह से यह गठबंधन टूट गया। ऐसे बहुत से कारण है जिसकी वजह से यह गठबंधन टिक नहीं पाया, चलिए जानते हैं कि वह सब कारण असल में है क्या?

घोटाले के आरोपों में फंसा हुआ है लालू का परिवार
आरजेडी (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का परिवार भ्रष्टाचार और घोटाले जैसे बड़े आरोपों में फस गया है। इसी वजह से बीजेपी (BJP) को एक अच्छा मौका मिला और उसने आरजेडीे (RJD) को घेर लिया है। बिहार के पहले रह चुके उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी इस बात को लेकर महागठबंधन पर निशाना लगा रहे थें। और इस बात की मांग कर रहे थे कि तेजस्वी यादव जो कि उपमुख्यमंत्री हैं वह इस्तीफा दे दें। नीतीश कुमार के इस्तीफा देने का एक मुख्य कारण यह भी था।

विपक्ष का लगातार दबाव
अब नीतीश कुमार अपने आप को सही इंसान बताते रहे हैं तो विपक्ष पार्टी उन पर लगातार दबाव बनाई जा रही थी। तो वहीं विपक्षी पार्टी बीजेपी (BJP) ने नीतीश कुमार से इस बात की मांग की, कि लालू यादव के दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव इन दोनों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया जाए। सुशील मोदी ने तो नीतीश कुमार को धमकी भी दे डाली, और साथ में यह भी कहा कि अगर नीतीश कुमार लालू यादव के दोनों बेटों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त नहीं करेंगे, तो वह २८ जुलाई को विधानसभा में कोई भी सत्र नहीं चलने देंगे। एक यह भी कारण रहा है नीतीश कुमार का महागठबंधन से इस्तीफा देने का।

रेलवे टेंडर घोटाले में तेजस्वी का नाम
घोटाले की बात की जाए तो लालू यादव के पूरे परिवार ने बहुत से घोटाले किए हैं। जैसे कि उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने रेलवे टेंडर घोटाले में अपना पूरा सहयोग दिया है, तो वहीं बड़े बेटे भी कम नहीं रहे। उन्होंने अवैध रूप से पेट्रोल पंप अपने नाम करवा लिया है। इसमें उनका साथ बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप ने भी दिया है। हालांकि कोर्ट ने इस बात का आदेश दिया है कि तेज प्रताप के पेट्रोल पंप को सील कर दिया जाए।

इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि नीतीश कुमार ने इस्तीफा देकर बहुत बड़ा सियासी दांव चल दिया है। अब उनका यह सियासी दांव राज्य के घटनाक्रम में क्या करवटें लाएगा, यह सब सामने आना बाकी है। परंतु उन्होंने यह साहसिक फैसला लेकर अपनी सियासी स्थिति को और भी मजबूत और टिके रहने वाला बना लिया है।

उन्होंने जिस तरह का मजबूत और साहसिक कदम उठाया है इससे उनकी छवि एक ऐसे बेहतरीन राजनेता की बन गई है, जिसमें वह भ्रष्टाचार के मामले में किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं करेंगे। हमेशा लोगों के भले के बारे में सोचेंगे। अगर कोई भी भ्रष्टाचार करता है चाहे वह उसका अपना ही क्यों ना हो, वह उसके विपक्ष में खड़ा हो होजाएंगे। इस तरह की छवि नीतीश कुमार ने बना ली है।

इस्तीफा तो नीतीश कुमार ने दे दिया था, परंतु साथ में यह भी संकेत दे दिया है कि वह साहस भरे फैसले लेने में कभी भी पीछे नहीं हटेंगे, जिस तरह से उन्होंने गठबंधन में रहते हुए भी भ्रष्टाचारी नेताओं के आरोपों को लेकर सख्त रूप जनता को दिखाया है। उससे उनकी छवि और भी साफ सुथरी हो गई है। इस्तीफा देने के बाद और बीजेपी से हाथ मिलाने के बाद वह दुबारा से साफ सुथरी छवि के साथ बिहार के मुख्यमंत्री बन गए हैं।

...

Featured Videos!