Monday, Dec 23, 2024 | Last Update : 08:34 AM IST
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मघ्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी के पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी एवं आपकी माता जी का नाम कृष्णा देवी था। कृष्णा बिहारी वाजपेयी एक स्कूल में शिक्षक के पद पर थे उनकी रुची काव्य पाठ करने में हुआ करती थी यही कारण थआ कि अटल बिहारी बाजपेयी को बचपन से कविताओं मे रुची थी।
अटल बिहारी बाजपेयी सात भाई थे । अटल जी ने शादी नहीं की और आजीवन कुंवारे रहे, अटल जी ने दो लड़कियों को गोद लिया था जिनका नाम नमिता और नंदिता है।
शिक्षा
अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर मे हुई हायरसेकण्ड्री की शिभा अटल जी ने ग्वालियर के बारा गोरखी के गवर्नमेंट हायरसेकण्ड्री विद्यालय से पाप्त की।
उच्च शिशा के लिए अटल जी ने कानपूर के दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। अटल जी राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रबल पक्षधर रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन काल में कई कविताएं लिखीं। सन् 1993 मे कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा दर्शन शास्त्र में पी.एच डी की मानद उपाधि से सम्मानित किए गए।
शिक्षा प्राप्त करने के बाद अटल जी ने पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत की।राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि समाचार पत्रों के संपादक रहे।
भारतीय स्वातंत्र्य-आंदोलन में सक्रिय योगदान कर 1942 में जेल गए. वाजपेयी जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य और सन् 1951 में गठित राजनैतिक दल ‘भारतीय जनसंघ’ के संस्थापक सदस्य थे।
अटल जी को अबतक कई पुरस्कार से नवाजा गया है सन 1992 में इन्हे पद्म विभूषण से पुरस्कार से सम्मानित किया गया 1994 लोकमान्य तिलक पुरस्कार से भी नवाजा गया। 1994 भारत रत्न पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड, अटल जी को 2015 में भारत रत्न पुरस्कार के लिए भी नवाजा गया।
अटल बिहारी जी की कविताओं के कुछ छंद आपके समक्ष साक्ष किए है-
कदम मिला कर चलना होगा
बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।…….
आओ फिर से दिया जलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ……
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,
जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है,
पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।
पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं।
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