Thursday, Dec 26, 2024 | Last Update : 11:24 PM IST
शाहजहाँ मुगल वंश के पांचवे बादशाह थे। पांच जनवरी 1592 में मुगल शासक शाहजहां का लाहौर में जन्म हुआ था। छोटी उम्र में ही उन्हें मुगल सिंहासन के उत्तराधिकारी के रूप में चुन लिया गया था। 1627 में अपने पिता की मृत्यु होने के बाद वह गद्दी पर बैठे। उनके शासनकाल को मुगल शासन का स्वर्ण युग और भारतीय सभ्यता का सबसे समृद्ध काल बुलाया गया है।
आगरा के सिहासन पर बैठने के लिए शाहजहाँ ने गद्दी की लालच में अपने सभी भाईयों और सिहासन के सभी प्रतीद्वीदियों और दवार बख्श को मार कर सत्ता हासिल की थी।
शाहजहाँ ने अपने शासनकाल के आरम्भिक वर्षो में इस्लाम का पक्ष लिया किन्तु कालान्तर में दारा और जंहाआरा के प्रभाव के कारण सहिष्णु बन गया था | शाहजहाँ ने 1634 ई. में यह पाबंदी लगा दी कि यदि कोई मुसलमान लडकी हिन्दू मर्द से तब तक ब्याही नही जा सकती है जब तक कि वह इस्लाम धर्म स्वीकार न कर ले |
24 फरवरी 1628 ईं में शाहजहां आगरा में अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-साहिब की उपाधि प्राप्तकर सिंहासन पर बैठा। 18 जून को 1658 ई में औरंगजेब ने शाहजहां को बंदी बना लिया था। 25 अप्रैल 1658 ई में दारा और औरंगजेब के बीच धरमट का युद्ध हुआ. इस युद्ध में दारा हार गया।
शाहजहाँ ने आशिकों के लिए एक ऐसी मिसाल कायम की जिसे देखने के लिए लोग देश विदेश से आते है। शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज के लिए विश्व की सबसे खूबसूरत इमारत ताजमहल बनवाया, जिसे प्यार का प्रतीक क माना जाता है। ताजमहल आगरा में यमुना नदी के किनारे बना है जिसे सफेद संगमरमर से बनाया गया है। ताजमहल को बनाने वाला कलाकार उस्ताद अहमद लाहौरी था। बता दे कि ताजमहल का दिदार करने के लिए एक दिन में 60000 लोग आते है।
शाहजहां ताजमहल के अलाव इन इमारतो के लिए भी है प्रचलित है जिनमें दिल्ली का लालकिला, दीवाने आम, दीवाने खास, दिल्ली की जामा मस्जिद, आगरा की मोती मस्जिद है।
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