सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय

Thursday, Oct 03, 2024 | Last Update : 06:56 PM IST


सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय

स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनके महान कार्यों के लिए जाना जाता हैं। भारतीय इतिहास में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया हैं। वे एक शिक्षक, दार्शनिक, दूरदर्शी और समाज सुधारक थे।
Sep 5, 2018, 11:22 am ISTLeadersAazad Staff
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan
  Dr. Sarvepalli Radhakrishnan

पांच सितंबर 1888 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुमनी में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।  इनके पिता का नाम सर्वपल्ली विरास्वामी था। इनके पिता एक विद्वान ब्राह्मण थे और राजस्व विभाग में कार्य करते थे। इनकी माता का नाम सीताम्मा था। वर्ष 1903 में इनका विवाह अपनी दूर की बहन सिवाकामू से साथ हुआ।विवाह के समय उनकी उम्र मात्र 16 वर्ष और उनकी पत्नी की उम्र मात्र 10 वर्ष थी।

शिक्षा -

तिरुपति के एक क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल में उन्होंने अपनी पढ़ाई की। उनकी प्रारंभिक शिक्षा तिरुमनी में हुई।  हाईयर एजुकेशन के लिए मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से पढ़ाई की और फिर राधाकृष्णन ने 1906 में दर्शनशास्त्र में एमए किया।

पढ़ाई के बाद 1909 में उन्हें मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में अध्यापक के तौर पर नौकरी मिली। उसके बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भारतीय दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर बने। 1939 में वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति बने और सन 1948 तक किसी पद पर बने रहे। बता दें कि उन्होंने अपने जीवन के 40 वर्षो शिक्षक के रूप में व्यतीत किए।

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राजनीति

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का राजनीति में कदम रखने का श्रेय पंडित जवाहर लाल नेहरु को जाता हैं। उनके कहने पर ही डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजनीति में आए। वर्ष 1947 से 1949 तक संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया। 1954 में उन्हें उनकी महान दार्शनिक व शैक्षिक उपलब्धियों के लिये देश का सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न प्रदान किया गया। 1962 में उन्हें देश का दूसरा राष्ट्रपति चुना गया।

13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक वे देश के उपराष्ट्रपति रहे। वे 1967में राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त हुए और मद्रास जाकर बस गये। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया था 17 अप्रैल 1975 को एक गंभीर बीमारी के कारण डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन हो गया।  सन 1975 में उनके निधन के बाद अमेरिकी सरकार द्वारा उन्हे टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

पुरस्कार:-
•  1938 ब्रिटिश अकादमी के सभासद के रूप में नियुक्ति।
•  1954 नागरिकत्व का सबसे बड़ा सम्मान, “भारत रत्न”।
•  1954 जर्मन के, “कला और विज्ञानं के विशेषग्य”।
•  1961 जर्मन बुक ट्रेड का “शांति पुरस्कार”।
•  1962 भारतीय शिक्षक दिन संस्था, हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिन के रूप में मनाती है।
•  1963 ब्रिटिश आर्डर ऑफ़ मेरिट का सम्मान।
•  1968 साहित्य अकादमी द्वारा उनका सभासद बनने का सम्मान (ये सम्मान पाने वाले वे पहले व्यक्ति थे)।
•  1975 टेम्पलटन पुरस्कार।
 1989 ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा रशाकृष्णन की याद में “डॉ. राधाकृष्णन शिष्यवृत्ति संस्था” की स्थापना।

इनके द्वारा लिखी गई पुस्तके -
•  द एथिक्स ऑफ़ वेदांत.
•  द फिलासफी ऑफ़ रवीन्द्रनाथ टैगोर.
•  माई सर्च फॉर ट्रूथ.
•  द रेन ऑफ़ कंटम्परेरी फिलासफी.
•  रिलीजन एंड सोसाइटी.
•  इंडियन फिलासफी.
•  द एसेंसियल ऑफ़ सायकलॉजी.

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