Friday, Nov 22, 2024 | Last Update : 05:50 PM IST
21 जून को अंतरराष्टीय योग दिवस के रुप में मनाया जाता है। योग को भारत समेत दुनियाभर में एक नई पहचान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिलाई। पहली बार अंतरराष्टीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने घोषित किया था। इस दिन 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे।
आज के दिन को योग दिवस के रुप में मनाने के पिछे सबसे बड़ा कारण ये है कि ये दिन साल का सबसे बड़ा दिन होता है। योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है।
अगर इस बात को भौगोलिक भाषा में परिभाषित करें तो 21 जून उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय संस्कृति के दृष्टिकोण से, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी है।
आज के दिन 12 बजकर 28 मिनट पर सूर्य कर्क रेखा पर एकदम लंबवत हो जाएगा जिसके कारण से लोगों को अपनी परछाई भी नहीं दिखेगी। आज का दिन 13 घंटे 34 मिनट का रहेगा जबकि रात 10 घंटे 24 मिनट की होगी।
हमारे इतिहास में योग का महत्व …..
भारत में योग का इतिहास हजारो साल पुराना है। योग की उत्पत्ति सर्वप्रथम भारत में ही हुई इसके बाद यह दुनिया के अन्य देशों में लोकप्रिय हुआ। योग की उत्पत्ति भगवान शिव से हुई है जिन्हें आदि योगी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव को दुनियाभर के योगियों का गुरू माना जाता है।
गीता में योग का कई जगह पर जिक्र मिलता है। कृष्ण ने योग के तीन प्रकार बताए हैं- ज्ञान योग, कर्म योग और भक्ति योग। जबकि योग प्रदीप में इसके दस प्रकार बताए गए हैं।
योग की उत्पत्ति की बात करें तो वैदिक संहिताओं और वेदों में 900 से 500 बीसी के बीच तपस्वियों का जि़क्र मिलता है।
पूर्व वैदिक काल (2700 ईसा पूर्व) में एवं इसके बाद पतंजलि काल तक योग की मौजूदगी देखी गई है। मुख्य स्रोत, जिनसे हम इस अवधि के दौरान योग की प्रथाओं तथा संबंधित साहित्य के बारे में सूचना प्राप्त करते हैं, वेदों (4), उपनिषदों (18), स्मृतियों, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, पाणिनी, महाकाव्यों (2) के उपदेशों, पुराणों (18) आदि में उपलब्ध हैं।
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