Friday, Nov 22, 2024 | Last Update : 06:43 AM IST
देश में आय दिन बच्चों के साथ हो रहे यौन उत्पीडन व दुष्कर्म हमारे समाज को शर्मसार कर रहे हैं। इस तरह के मामलों की संख्या को बढ़ता देख सरकार की तरफ से महिला और बाल विकास मंत्रालय ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था। जो बच्चों को छेड़खानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून को नाम दिया गया पॉक्सो अधिनियम।
पॉक्सो शब्द अंग्रेजी से लिया गया है जिसका अर्थ होता है होप्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट यानी इसका मतलाब होता है लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों को संरक्षण देने का अधिनियम।
पॉक्सो अधिनियम के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।
वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। देश में बच्चियों के साथ बढती दरिंदगी को रोकने के लिए 'पाक्सो ऐक्ट-2012' में बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी।
वहीं इस अधिनियम में धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किए जाते हैं जिनमें बच्चों के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। इसमें सात साल सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है।
पॉक्सो अधिनियम धारा 6 के तहत वो मामले आते है जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म, कुकर्म के साथ उन्हें गम्भीर रुप से चोट पहुंचाई गई हो। इस अधिनियम के तहत दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।
जबकि पोक्सो अधिनियम धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है, इस धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर 5 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
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