श्रीनिवास रामानुजन एक महान भारतीय गणितज्ञ

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श्रीनिवास रामानुजन एक महान भारतीय गणितज्ञ

श्रीनिवास रामानुजन एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। इन्हें आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। हालांकि इन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी इन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिए। इन्होंने ना केवल गणित के क्षेत्र में अद्भुत अविष्कार किए बल्कि भारत को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किया।
Dec 4, 2018, 1:32 pm ISTShould KnowAazad Staff
Srinivasa Ramanujan
  Srinivasa Ramanujan

महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसम्बर 1887 को मद्रास से 400 किमी दूर इरोड नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। रामानुजन जब एक वर्ष के थे तभी उनका परिवार पवित्र तीर्थस्थल कुंभकोणम में आकर बस गया था। इनके पिता एक कपड़ा व्यापारी की दुकान में मुनीम का कार्य करते थे। इनका बचपन मुख्यतः कुंभकोणम में बीता था जो कि अपने प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। पाँच वर्ष की आयु में रामानुजन का दाखिला कुंभकोणम के प्राथमिक विद्यालय में करा दिया गया।

इनकी प्रारंभिक शिक्षा की एक रोचक घटना है। एक दिन गणित के अध्यापक ने पढ़ाते हुए कहा, ‘‘यदि तीन केले तीन व्यक्तियों को बाँटे जायें तो प्रत्येक को एक केला मिलेगा। यदि 1000 केले 1000 व्यक्तियों में बाँटे जायें तो भी प्रत्येक को एक ही केला मिलेगा। इस तरह सिद्ध होता है कि किसी भी संख्या को उसी संख्या से भाग दिया जाये तो परिणाम ‘एक’ मिलेगा। रामानुजन ने खड़े होकर पूछा, ‘‘शून्य को शून्य से भाग दिया जाये तो भी क्या परिणाम एक ही मिलेगा?’’

श्रीनिवास रामानुजन का लगाव गणित के प्रती एक दीवानगी की तरह था लेकिन अन्य विषय की बात करें तो वो उनमें उनके नंबर अच्छे नही होते थे कई विषय में तो वे फेल हो जाते थे। गणित के प्रति तो उनमें ज्ञान व अन्य के प्रति वैराग्य था। उन्होंने केवल 13 साल की उम्र में लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर एस. एल. लोनी की विश्व प्रसिद्ध त्रिकोणमिति (ट्रिगनोमेट्री) पर लिखित पुस्तक का अध्ययन कर लिया था एवं अनेक गणितीय सिद्धांत प्रतिपादित किए।

सन 1898 मे उनका दाखिला टाउन हाईस्कूल में हुआ यहां उन्होंने सभी विषयों में अच्छा प्रदर्शन किया। मात्र 15 साल की उम्र में रामानुजन ने जार्ज एस. कार्र की गणित के परिणामों पर लिखी किताब पढ़ी और इस पुस्तक से प्रभावित होकर स्वयं ही गणित पर कार्य करना प्रारंभ कर दिया। इस पुस्तक में उच्च गणित के कुल 6165 फार्मूले दिये गये थे। जिन्हें रामानुजन ने केवल 16 साल की आयु में पूरी तरह आत्मसात कर लिया था। रामानुजन ने कुछ ही दिनों में सभी फार्मूलों को बिना किसी की मदद लिये हुए सिद्ध कर लिया। इस ग्रन्थ को हल करते समय उन्होंने अनेक नयी खोजें (नयी प्रमेय) कर डालीं। आगे के वर्षों में रामानुजन, कार्र की पुस्तक को मार्गदर्शक मानते हुए गणित में कार्य करते रहे और अपने परिणामों को लिखते गए जो कि 'नोटबुक' नाम से प्रसिद्ध हुए।

हालांकि इन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी इन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिए। गणित के 3,884 प्रमेयों (Theorems) का संकलन किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके हैं। गणित के क्षेत्र में श्रीनिवास रामानुजन ने केवल 32 साल के जीवनकाल में पूरी दुनिया को गणित के अनेक सूत्र और सिद्धांत दिए। इनकी कुछ खोजों को गणित मुख्यधारा में अब तक नहीं अपनाया गया है। हालांकि कुछ ऐसे मुल्य व सूत्र है जिन्हें क्रिस्टल-विज्ञान में शामिल किया गया।

उनके जीवन पर आधारित एक फिल्म भी बनी है जिसे द मैन हू न्यू इनफिनिटी का नाम दिया गया है। ये फिल्म रॉबर्ट कनिगेल की किताब पर आधारित है फिल्म की कहानी ऐसी दोस्ती पर आधारित है जिसने हमेशा के लिए गणित की दुनिया को बदलकर रख दिया। रामानुजन एक गरीब स्वयं पढ़ने वाले भारतीय गणितज्ञ थे। फिल्म की कहानी उनके ट्रिनिटी कॉलेज मद्रास से कैंब्रिज जाने की है।फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे वह विश्वप्रसिद्ध गणितज्ञ बने। ये फिल्म तमिल और अंग्रेजी में उपलब्ध है। श्रीनिवास रामानुजन ने26 अप्रैल 1920 को टी बी रोग के कारण मद्रस में प्राण त्याग दिया। उस समय उनकी आयु मात्र 33 साल थी।

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