Friday, Nov 22, 2024 | Last Update : 05:48 PM IST
संत बसवेश्वर ऐसे महान पुरुषों में से एक थे जो समाज को जातिरहित व वर्गरहित बनाने का सपना देखा करते थे। और अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्होने कई कार्य भी किए। हालांकि उन्हे अपने कार्य में ज्यादा प्रसिद्धी ना मिल सकी।
आज देश जात-पात , ऊंच नीच जैसे जैस भैद भाव में बट चुका है।
संत बसवेश्वर ने 12वीं सदी में समाज के शोषित वर्ग को मुख्यधारा में लाने के लिए कई काम किए। महिलाओं के हित के लिए भी इन्होने कई कार्य किए थे। संत बसवेश्वर को लेकर ऐसी मान्यता है कि उनका जन्म सन 1131 में कर्नाटक के बीजापुर जिले के बसवन बागेवाडी में हुआ था। उनके पिता का नाम मादरस और माता का नाम मादलांबिके था।
संत बसवेश्वर बचपन से ही अत्यंत प्रतिभावान और सुसंस्कृत थे। आगे वे कल्याण-नगरी के राजा बिज्जल के प्रधानमंत्री और महादंडनायक बने। फिर सामाजिक एवं धार्मिक असमानता के कारण भौतिक संसार से उनका मन उठ गया। उन्होंने सामाजिक एवं धार्मिक सुधार का बीड़ा उठाया।
बसवेश्वर जी ने कई साहित्य लिखे है। बसवेश्वर जी को कई भाषाओं का ज्ञान था जिसके कारण उन्होने कई भाषाओं में साहित्य लिखे कुछ का तो अनुवाद किया जा सका तो कुछ का आज तक अनुविाद नहीं हो सका और यहीं कारण है कि इनके विचारों को विभिन्न देशों में प्रचलित नहीं किया जा सका।
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