हिन्दी साहित्य के महान कवि काली दास की प्रसिद्ध रचनाएं

Friday, Nov 22, 2024 | Last Update : 06:50 AM IST

हिन्दी साहित्य के महान कवि काली दास की प्रसिद्ध रचनाएं

भारत सरकार के द्धारा कालिदास की एक प्रतिमा उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव में स्थापित की गई है। यहां हर साल जून में तीन दिनों की एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। जिसमें हिस्सा लेने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से विद्धान आते हैं।
Sep 29, 2018, 10:36 am ISTShould KnowAazad Staff
Kalidas
  Kalidas

कालिदास का जन्म पहली से तीसरी शताब्दी के बीच ईस पूर्व माना जाता है। कालिदास संस्कृत भाषा के एक महान कवि थे। कालिदास भगवन शिव के महान भक्त थे। कालिदास नाम का शाब्दिक अर्थ है, “काली का सेवक“। माना जाता है कि कालीदास मां काली के परम उपासक थे। कालिदास जी के बारे में ये भी कहा जाता है कि वे बचपन में अनपढ़ थे उन्हें चीजों की समझ नहीं थी। लेकिन बाद में वे साहित्य के विद्दान हो गए और उन्हें हिन्दी साहित्य के महान कवि का दर्जा मिला।

कालिदास की शादी संयोग से राजकुमारी विद्योत्मा से हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि राजकुमारी विद्योत्मा ने प्रतिज्ञा की थी की जो भी उन्हे शास्त्रार्थ में हरा देगा, वे उसी के साथ शादी करेंगी जब विद्योत्मा ने शास्त्रार्थ में सभी विद्दानों को हरा दिया तो अपमान से दुखी और इसका बदला लेने के लिए छल से कुछ विद्धानों ने कालिदास से राजकुमारी विद्योत्मा का शास्त्रार्थ करवाया और उनका विवाह राजकुमारी विद्योत्मा से करवा दिया ।

आपको बता दें कि शास्त्रार्थ का परीक्षण के लिए राजकुमारी विद्योत्मा  मौन शब्दावली में गूढ़ प्रश्न पूछती थी, जिसे कालिदास अपनी बुद्धि से मौन संकेतों से ही जवाब दे देते थे।
विद्योत्मा को लगता था कि कालिदास गूढ़ प्रश्न का गूढ़ जवाब दे रहे हैं। उदाहरण के लिए विद्योत्मा ने प्रश्न के रूप में खुला हाथ दिखाया तो कालिदास को लगा कि वह थप्पड़ मारने की धमकी दे रही हैं। इसलिए उसके जवाब में उन्होनें घूंसा दिखा दिया तब विद्योत्मा को लगा कि कालिदास कह रहे हैं कि  पांचों इन्द्रियां भले ही अलग हों, सभी एक ही मन के द्धारा संचालित है ।

कलिदास अपनी अलंकार युक्त सरल और मधुर भाषा के लिये जाने जाते हैं। उनके ऋतु वर्णन बहुत ही सुंदर हैं और उनकी उपमाएं बेमिसाल हैं।  कालिदास द्वारा की गयी छोटी-बड़ी कुल लगभग चालीस रचनाएँ हैं जिन्हें अलग-अलग विद्वानों ने कालिदास द्वारा रचित सिद्ध करने का प्रयास किया है। इनमें से मात्र सात ही ऐसी हैं जो निर्विवाद रूप से कालिदासकृत मानी जाती हैं।

कालिदास की कुछ ऐसी रचनाएं है जो बहुत ही प्रसिद्ध है।

इनमें से चार काव्य-ग्रंथ हैं-

1.रघुवंश

2.कुमारसंभव

3.मेघदूत

4.ऋतुसंहार।

तीन नाटक हैं-
1.अभिज्ञान शाकुंतलम्

2.मालविकाग्निमित्र

3.विक्रमोर्वशीय।

कालिदास जी की रचनाओं की खास बातें –
    •    कालिदास जी अपनी रचनाओं में अलंकार युक्त, सरल और मधुर भाषा का इस्तेमाल करते थे।
    •    अपनी रचनाओं में श्रंगार रस का भी बखूबी वर्णन किया है।
    •    कालिदास जी ने अपनी रचनाओं में ऋतुओं की भी व्याख्या की है जो कि सराहनीय योग्य है।
    •    कालिदास जी के साहित्य में संगीत प्रमुख अंग रहा। संगीत के माध्यम से कवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में प्रकाश डाला।
    •    कालिदास जी अपनी रचनाओं में आदर्शवादी परंपरा औऱ नैतिक मूल्यों का भी ध्यान रखते थे।

...

Featured Videos!