Friday, Nov 22, 2024 | Last Update : 05:31 PM IST
रुपैया, पैसा, नोट या करेंसी जैसे शब्दों से शायद ही कोई अनजान हो | बहुत सम्मोहन है इस शब्द मे १ रुपैयावो है जिसकी गैर हाजिरी भूखे को भोजन, मरीज को दवा, गरीब को छत, तन को वस्त्र और जरूरत मंद को उपलब्ता से महरूम कर देती है वही इसकी मोजूदगी रंक को राजा और दुनिया को तमाशा बना देती है | रुपये की उत्पति संस्कृत के शब्द 'रोत्य' रूप या रुपया हुई है | जिसका मतलब है 'कच्ची-चाँदी' और 'रूपकम' का अर्थ चाँदी के सिक्के से लगाते है | 'रुपये' को हिंदी मे 'रुपया' गुजराती मे 'रुपयों' तेलेगु व कन्नड़ मे 'रुपई' तमिल मे 'रुपाई' कहते है |
बंगाली व असमिया मे टका | ढाका और उड़िया मे टंका कहा जाता है 'रुपया' शब्द का पहला प्रयोग शेरशाह सूरी के शासनकाल (१५४० -१५४५ ) मे हुआ | उसने १७८ ग्रेन (११.५३४ ग्राम) वजन का चांदी का सिक्का रुपये के रूप मे चलाया उसने ताम्बे का सिक्का 'दाम' तथा सोने का सिक्का 'मोहर' भी चलाया |
ब्रिटिश राज मे भी यह प्रचलन मे रहा, इस दौरान इसका वजन ११.६६ ग्राम था और इसमे ९१.७ फिसिदी तक शुद्ध चाँदी थी | १९ वी शताब्दी अंत मे रुपया प्रथा-गत ब्रिटिश मुद्रा विनमय दर के अनुसार एक शिलिग़ और चार पेस के बराबर था |
कागज के नोटों की शुरुवात |
सन १७७० मे 'बैंक आफ हिंद्स्तान, नाम से एक निजी बैंक मे सर्वप्रथम बैंक नोट जारी किये जिनमे बैंक आफ हिंदुस्तान (१७७० - १८३२ ) द जनरल बैंक आफ बंगाल एंड बिहार (१७७३ - १७७५ ) | पूर्वी भारत मे 'बंगाल बैंक', कोम्मेर्सिअल बैंक आदि तो दक्षिण भारत मे कर्णाटक बैंक, गवर्नमेंट बैंक, बैंक ऑफ़ मद्रास आदि प्रमुख निजी बैंको ने बैंक नोट जारी किया | पश्चिम भारत मे बैंक ऑफ़ बॉम्बे, ओरिएंटल बैंक, कोम्मेर्सिअल ऑफ़ इंडिया आदि ने बैंक नोट जारी किया | बैंक ऑफ़ बंगाल दवरा जारी नोटों पर सिर्फ एक और छपी मुद्रा मे सोने की एक मोहर बनी थी जो १००,२५०, ५०० आदि वर्गों मे थे |
बाद मे बेल बोटे वाले नोटों पर एक महिला आक्रति वदिज्य का मानवीकरण दर्शाती थी | दोनों और छपे ये नोट तीन लिपियों उर्दू, बंगला व देवनागरी मे होते थे जिसमे पीछे की ओर बैंक की छाप होती थी | १८ वी सदी के अंत टेक नोटों ने ब्रितानी रूप घर लिया और जाली बनने से रुकने के लिये उनमे कई लक्षण जोड़े गये | करीब सौ वर्षो तक निजी और प्रैसेदैसी बैंक दवरा जारी बैंक नोटों का चलन रहा | फिर १८६१ मे पेपर करेंसी कानून बनने के बाद इसपर सरकार का एक्धिकार रह गया |
ऑर बी आई से बड़ी रुपये की साख |
सोमवार १ अप्रैल १९३५ को भारतयी रिजर्व बैंक के गांठन के साथ ही बैंक नोटों के मुद्रण ऑर वितरण का दायित्व आर बी आई के हाथ मे आ गया | कलकात्ता , बॉम्बे, मद्रास,रंगून, कराची, लोहौर व कानपुर स्तिथ मुद्रा कार्यालय आर बी आई के निर्गम विभाग की शाखाये हो गई | आर बी आई एक्ट १९३४ की धारा २२ ने उसे स्वं का नोट जारी करने तक भारत सरकार के नोट निर्गम जारी रहने का अधिकार दिया | फिर १९३७ मे अस्त्म्म के चित्र वाले नोट जारी करना सुनिश्चित हुआ लेकिन उनके पद छोडने से पंचम के चित्र वाले नोटों की जगे १९३८ मे पंचम के चित्र वाले नोटों ने लिया, जो १९४७ तक प्रचलन मे रहे | आज़ादी के बाद चित्र वाले नोटों की छपाई बंद हो गई ऑर सारनाथ के सिंध के स्तभ वाले नोटों ने इनकी जगह ली | पहले रुपये को १६ आने या ६४ पैसे या १९२ पाई मे बाटा गया यानि १ आना ४ पैसो या १२ पाई मे विभाजित था | रुपये का द्श्म्लविकरण १९५७ मे हुआ तो यह १०० पैसौ मे बट गया | १९७८ मे नोटप के विमुद्रीकरण के बाद ८० के दशक मे विविधता से लबरेज नये नोटों का सेट जारी हुआ भारतयी रुपये के नोटों के भाषा पटल पर भारत की २२ सरकारी भाषाओ मे से १५ मे उनका मूल्य मुद्रित है |
५०० रुपये का नोट महात्मा गाँधी के चित्र के साथ अक्टूबर,१९८७ मे जारी किया गया जिनपर वाटरमार्क मे सिंह और अशोक स्तम्भ भी रहे रिप्रोग्राफी तकनीक की प्रगति के साथ परम्परागत सुरक्षा विशेषताये अप्रयाप्त लगी और नयी विशेष ताओ के साथ १९९६ मे नयी महात्मा गाँधी श्रीन्खला वाले कागजी नोट शुरू हुये जो आज तक चलन मे है |
कागज के नोटों की दुर्दशा देखते हुये आर बी आई अब प्लास्टिक के नोट ल रहा है | प्रायोगिक तौर्र पर पहले दस रुपये का नोट जारी किया जायेगा और फिर उसके अनुभव के आधार पर २० और ५० रुपये का प्लास्टिक नोट जारी होगा | श्री लंका, मलाशिया, हांगकांग जैसे कई देश मे प्लास्टिक नोट पहले से ही चलन मे है सबसे पहले आस्ट्रेलिया मे पालिम्ट नोट जारी किये गये थे |
नये सिबल के साथ आज हमारी कर्रेंसी दुनिया की पांच प्रमुख आर्थिक केन्द्रों की मुद्राओ के साथ कंधे से कंधे मिला कर खडी है | अमेरिका के डोल्लर यूरोप के यूरो, ब्रिटेन के पोंड स्त्रलिग़ और जापान के येन की तरह उसे अपना प्रतिक मिल गया | दुनिया की चार सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के देशो ( ब्राज़ील, रूस, भारत व चीन ) मे रुपये ने सबसे पहले अपनी ब्रैडिंग कर ली है | ग्लोबल हो चुके मुद्रा के इस रूप की चर्चा जितनी हो उतनी कम है |
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