Thursday, Nov 28, 2024 | Last Update : 07:12 PM IST
हर साल 22 मार्च को पूरी दुनिया में विश्व जल दिवस मनाया जाता है। आज देश के ज्यादा तर हिस्से ऐसे है जहां जल का संकट मंडरा रहा है और कई ऐसे भी हिस्से है जहा लोगों को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए कोसो दूर जाना पड़ता है।
आज दुनिया के ऊपर जल संकट मंडरा रहा है। दुनिया में 84.4 करोड़ लोगों के पास स्वच्छ जल की सुविधा नहीं है. वहीं, भारत में 16.3 करोड़ लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिलता है। घटते भूजल स्तर एवं प्रदूषण भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। जल के संकेट से निपटने के लिए हमे सचेत होने की आवश्यकता है ताकी आने वाले समये में इस समस्या से निपटा जा सके। आज के दौर में जहां टेक्नॉलोजी ने हमारे काम को आसान बनाय है तो वहीं तो वही प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। आज नदियों का पानी इतना दूषित हो चुका है कि उसे पीना तो दूर रोजाना के कामों के लिए भई इस्तमाल नहीं किया जा सकता है। दिल्ली की यमुना नदी जल संकट व प्रदूषण का सबसे बड़ा उदाहरण है।
जल ही जीवन है लेकिन अगर इसे समय रहते प्रदूषित होने से बचाया ना जा सके तो धरती पर जीवन असंभव है। माना जा रहा है कि 2050 तक भारत में पानी की समस्या काफी बढ़ जाएगी।एक रिपोर्ट के मुतबिक 2001 में 1,820 प्रति व्यक्ति क्यूबिक मीटर प्रति व्यक्ति पानी था। जो घटकर 2011 में 1,545 रह गया। रिपोर्ट बताती है कि यह आने वाले सालों में इसका औसत और कम होता जाएगा। 2025 में यह 1,341 क्यूबिक मीटर रह जाएगा वहीं 2050 में यह घटकर सिर्फ 1,140 क्यूबिक मीटर हो जाएगा।
देश में तकरीबन 80 फीसदी पानी को हमारा ही समाज गंदा करता है। बिना सोचे समझे हम ना जाने एक दिन में कितने लाखों कचरे को पानी व नदियों में बहाते है जिससे पानी पूरी तरह से दूषित हो जाता है।
...