क्या है अनुच्छेद ३५ए, जम्मू-कश्मीर में क्यों मचा है इस पर कोहराम

Monday, Dec 23, 2024 | Last Update : 11:12 PM IST


क्या है अनुच्छेद ३५ए, जम्मू-कश्मीर में क्यों मचा है इस पर कोहराम

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के अस्थायी प्रावधान आर्टिकल ३५(ए) 35A को समाप्त करने की मांग की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि आर्टिकल ३५(ए) केवल भारतीय संविधान ही नहीं बल्कि कश्मीर की जनता के साथ सबसे बड़ा धोखा है।
Aug 5, 2019, 11:43 am ISTNationAazad Staff
Article 35A
  Article 35A

जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद ३५ए के तहत विशेष राज्य का र्दजा दिया गया है जिसे लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है और इसे अब  रद्द किए जाने की मांग की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर अनुच्छेद ३५ए को लेकर चर्चा तेज हो गई है। दाखिल याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद ३५ए केवल भारतीय संविधान ही नहीं बल्कि कश्मीर की जनता के साथ भी सबसे बड़ा धोखा है। सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि अनुच्छेद ३५ए को संविधान संशोधन करने वाले अनुच्छेद ३६८ में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करके नहीं जोड़ा गया बल्कि इसे तब की सरकार ने अवैध तरीके से  लागू किया।

उनका कहना है कि संविधान में संशोधन का अधिकार केवल संसद को है। अनुच्छेद ३५ए न केवल आर्टिकल ३६८ में निर्धारित संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करता है, बल्कि भारत के संविधान की मूल संरचना के भी खिलाफ है। संविधान में कोई भी आर्टिकल जोड़ना या घटाना केवल संसद द्वारा अनुच्छेद ३६८ में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही किया जा सकता है। जबकि अनुच्छेद ३५ए को संसद के समक्ष आजतक कभी प्रस्तुत ही नहीं किया गया।

अनुच्छेद ३५ए के विरोध में कहा गया है कि इस कानून की वजह से दूसरे राज्य के नागरिक जो जम्मू-कश्मीर में बसे हैं वह राज्य के स्थायी नागरिक नहीं माने जाते, इस वजह से दूसरे राज्यों के नागरिक न तो जम्मू-कश्मीर में नौकरी कर सकते हैं और न ही कोई संपत्ति खरीद सकते हैं। साथ ही यदि जम्मू-कश्मीर की किसी लड़की ने दूसरे राज्य के नागरिक से शादी कर ली तो उसे भी संपत्ति के अधिकार से आर्टिकल ३५ए के आधार पर वंचित कर दिया जाता है। यह धारा संविधान में अलग से जोड़ी गई है, इसलिए इसका विरोध हो रहा है।

क्या कहता है अनुच्छेद ३५ए  -

४ मई १९५४ को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद ३५-ए जोड़ा गया था। अनुच्छेद ३५ए जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिकों को विशेष अधिकार देता है।  इस कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के बाहर का कोई व्यक्ति यहां संपत्ति नहीं खरीद सकता साथ ही, कोई बाहरी शख्स राज्य सरकार की योजनाओं का फायदा भी नहीं उठा सकता है और न ही वहां सरकारी नौकरी कर सकता है।

इसके साथ ही यह अनुच्छेद अन्य राज्यों के व्यक्ति को यहां हमेशा के लिए  बसने बर भी रोक लगाता है। इस अनुच्छेद के अनुसार  अन्य राज्य के व्यक्ति को यहां मिलने वाले लाभ से भी वंचित रखा जाता है। अनुच्छेद ३५ए के तहत जम्मू कश्मीर को ये अधिकार मिला है कि वो किसे अपना स्थाई निवासी माने और किसे नहीं।

अनुच्छेद ३५ए के तहत जम्मू कश्मीर सरकार उन लोगों को स्थाई निवासी मानती है जो ४ मई १९५४ के पहले कश्मीर में बसे थे।अनुच्छेद ३५ए जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को यह अधिकार देता है कि वह 'स्थायी नागरिक' की परिभाषा तय कर सके और उन्हें चिन्हित कर विभिन्न विशेषाधिकार भी दे सके। स्थाई निवासियों को जमीन खरीदने, रोजगार पाने और सरकारी योजनाओं में विशेष अधिकार मिले हैं। देश के किसी दूसरे राज्य का निवासी जम्मू-कश्मीर में जाकर स्थाई निवासी के तौर पर नहीं बस सकता। दूसरे राज्यों के निवासी ना कश्मीर में जमीन खरीद सकते हैं, ना राज्य सरकार उन्हें नौकरी दे सकती है। अगर जम्मू-कश्मीर की कोई महिला भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उसके अधिकार छीन लिए जाते हैं।

...

Featured Videos!