Thursday, Nov 28, 2024 | Last Update : 04:24 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली में सीलिंग अभियान के खिलाफ हड़ताल और धरनों पर नाराजगी जताते हुए सोमवार को कहा कि दिल्ली में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गु्प्ता की पीठ ने केंद्र सरकार और दूसरे विभागों को आड़े हाथों लिया।
कोर्ट ने कारवाई के दौरान सरकार से पूछा, 2006 तक दिल्ली में अवैध निर्माण को संरक्षण था, एक एक्ट के तहत, लेकिन उसके बाद से अवैध निर्माण को सरंक्षण कैसे मिल रहा है। कोर्ट ने दिल्ली के मास्टर प्लान पर कहा, मास्टर प्लान में संशोधन की प्रक्रिया 2001 से शुरू होकर 2005 तक चली थी लेकिन इसके बीच केंद्र सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया।
कोर्ट ने दिल्ली में सीलिंग से बचाने के लिए बने विशेष प्रावधान कानून 2006 और उसके बाद बनाए गए नए कानूनों को लेकर केंद्र सरकार से कई सवाल किए। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि दिल्ली में अवैध निर्माणों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जिनको इस कानून के तहत कोई संरक्षण प्राप्त नहीं है?
कोर्ट ने सरकार से कहा, आप बता सकते हैं कि 2006 के बाद से दिल्ली में कितने अनाधिकृत निर्माण सील किए जांएगे, मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सरकार से जानना चाहा कि दिल्ली में बसी हुई अनाधिकृत कलोनियों में सीवर, गंदे पानी की निकासी, ग्रीन एरिया, स्कूल जैसी बुनियादी सुविधाएं हैं और क्या उन कलोनियों के निवासी सभी करों का भुगतान करते हैं. पीठ अब इस मामले की सुनवाई मंगलवार को करेगी।
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