समलैंगिकता अपराध है या नहीं इस मामला में सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर करेंगी सुनवाई

Friday, Jan 17, 2025 | Last Update : 07:16 PM IST


समलैंगिकता अपराध है या नहीं इस मामला में सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर करेंगी सुनवाई

2013 में गे सेक्स को अपराध घोषित किया गया था।
Jan 8, 2018, 2:39 pm ISTNationAazad Staff
Homosexuality
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सुप्रीम कोर्ट आईपीसी की धारा 377 यानी समलैंगिकता को अपराध बताने वाली धारा पर एक बार पुनर्विचार करने के लिए तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बड़ी पीठ के पास भेजा।
गौरतलब है कि समलैंगिकता मामले को लेकर  कोर्ट ने साल 2013 में देश में गे सेक्स को अपराध घोषित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस समय कहा था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को बदलने के लिए कोई संवैधानिक गुंजाइश नहीं है। धारा 377 के तहत दो व्यस्कों के बीच समलैंगिक रिश्ते को अपराध माना गया है।

नाज फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर की है कि इस मामले में दलील दी गई कि 2013 के फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है क्योंकि हमें लगता है कि इसमें संवैधानिक मुद्दे से जुड़े हुए हैं। याचिका में कहा गया कि कोई भी इच्छा से कानून के चारों तरफ नहीं रह सकता लेकिन सभी को अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार के तहत कानून के दायरे में रहने का अधिकार है।

आप को बता दें सुप्रीम कोर्ट धारा 377 के फैसले को लेकर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा था कि दो वयस्कों के बीच बंद कमरे में आपसी सहमति से बने संबंध संवैधानिक अधिकार का हिस्सा हैं। हालांकि अदालत में मौजूद चर्च के वकील और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकीलों ने इस याचिका का विरोध किया था।

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