Monday, Nov 25, 2024 | Last Update : 09:18 PM IST
केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने केंद्र सरकार के विरोध में 8 और 9 जनवरी को हड़ताल की घोषणा की है। ट्रेड यूनियन का कहना है कि केंद्र सरकार की नीतियां श्रमिकों के विरोध में हैं। इसके साथ ही यूनियन का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार व्यापारियों के खिलाफ दमनकारी नीति चला रही है। जिसके विरोध में बंद का आह्वान किया गया है।
ऑल इंडिया किसान महासभा के महासचिव ने जानकारी दी है कि देश भर के ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल का आह्वान किया है। इस हड़ताल में भारत बंद के साथ साथ रेल रोको आंदोलन भी शामिल हैं। इस आदोलन में आम लोगों के साथ किसान भी शामिल होंगे। किसानों का संपूर्ण कर्जमाफी व 3500 रुपए मासिक बेरोजगारी भत्ता देने की मांग व कई मुद्दे इस हड़ताल में शामिल किए गए है। बता दें कि यह हड़ताल मोदी सरकार और उसकी नीतियों के खिलाफ है।
देश मे लगातार चीजों की कीमतो में बढ़ोतरी को देखते हुए भारत बंद का आह्वान 8-9 जनवरी को किया गया है। इस आनदोलन में सीआईटीयू के महासचिव तपन सेन ने बताया कि इस आंदोलन में पब्लिक सेक्टर, लघु उद्योग बंदरगाह पर काम करने वाले कर्मी, बैंक कर्मी इंश्योरेंस कर्मी शामिल होंगे।
वहीं नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 को लेकर सिल्चर की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा से असम में माहौल गरमा गया है। इस मसले को लेकर अखिल असम छात्र संघ (आसू) और अन्य 30 जनजातीय संगठनों ने 8 जनवरी को असम बंद का आह्वान किया हैं। नॉर्थईस्ट स्टूडेंट आर्गेनाईजेशन (नेसो) ने भी इस बंद में शामिल होने का आह्वान किया है। बता दें कि 8 जनवरी के दिन असम और नॉर्थईस्ट के सात राज्य भी इस बंद में शामिल है।
जानकारी के लिए बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम कानून 1955 के 19 जुलाई में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान बना था और उस एक्ट के तहत अफगानिस्तान , पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत में शरण लिए 6 अल्प्संक्यक समुदायों को भारत में 11 वर्ष के शरणकाल के बाद भारतीय नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान पहले से ही मौजूद है।
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