मोहनदास करमचंद गांधी, कैसे बने देश के बापू

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मोहनदास करमचंद गांधी, कैसे बने देश के बापू

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्तुंबर १८६९ में पोरबंदर (गुजरात) में हुआ था, उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था और माता का नाम पुतली बाई था । सारा राष्टृ उन्हें बापू के नाम से जानता हैं
Aug 23, 2016, 5:02 pm ISTLeadersSarita Pant
मोहनदास करमचंद गांधी
  मोहनदास करमचंद गांधी

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म   2 अक्तुंबर १८६९ में पोरबंदर (गुजरात) में हुआ  था, उनके पिता का नाम  करमचंद गांधी था और माता का नाम  पुतली बाई था । गांधी जी की शिक्षा १८८७ में मॅट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण. की और १८९१ में इग्लंड में बॅरिस्टर बनकर वो भारत लौट आये के आए । गांधी जी का विवाह कस्तूरबा जी से हुआ ।

सारा राष्टृ उन्हें बापू के नाम से जानता हैं,  अहिंसा और सत्यागृह रास्ता अपना कर भारत को अंग्रेजो से  स्वतंत्रता दिलाई, गांधी जी का यह काम  पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया, वो हमेशा कहते थे बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, और उनका यह विशवास था कि  सच्चाई कभी नहीं हारती । उनकी इसी महानता के कारण उन्हें  भारत में राष्ट्रपिता घोषित कर दिया ।

गांधीजीने ने शुरवात में काठियावाड़ में शिक्षा ली और बाद में लंदन में विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री  प्राप्त की और उसके बाद उन्होने  भारत में आकर अपनी वकालत का अभ्यास करने लगे, लेकिन  गांधी जी सफल नहीं हुए । उसी समय दक्षिण अफ्रीका से उन्हें एक कंपनी में क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला,  वह वहा  २० साल तक रहे  वहा भारतीयों को अधिकारों दिलाने के लिए लड़ते हुए गांधी जी कई बार जेल भी गए ।

एक बार की बात है गांधी जी अग्रेजों के स्पेशल डिब्बे  में चढ़े  उन्होने गाँधीजी को बहुत बेईजत कर के ढकेल दिया तभी उन्होंने सरकार विरूद्ध असहयोग आंदोलन संगठित किया।

सन १९१९  में रौलेट एक्ट पास करके ब्रिटिश संसद लोगो ने  भारतीय उपनिवेश के अधिकारियों को कुछ आपातकालींन अधिकार दिये तो गांधीजीने तब लाखो लोगो के साथ सत्याग्रह आंदोलन किया ।

गांधी जी के आंदोलन के समय में ही चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह जैसे क्रन्तिकारी भी हिंसक आंदोलन कर रहे थे लेकिन गांधीजी का अपने पूर्ण विश्वास अहिंसा के मार्ग परचलने पर था और गांधी जी  आजीवन अहिंसा का संदेश देते रेहे ।

  • सन  १९०६ में गांधी जी नै अलावा रंग भेद नीती के विरोध में उन्होंने ब्रिटिश शासन विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया ।
  • सन १९१५ में  महात्मा गांधी जी भारत लौट  कर आए  और उन्होंने सबसे पहले यहाँ साबरमती पर सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की और फिर  १९१९ में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन में शुरु किया ।
  • सन १९२० में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरु किया  और १९२० में लोकमान्य तिलक की मौत के बाद राष्ट्रिय सभा का नेवृत्त्व महात्मा गांधी के पास आया |
  • सन १९२४ में गांधी जी ने बेळगाव में  राष्ट्रिय सभा के अधिवेशन का अध्यक्षपद किया ।
  • सन १९३० में  गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आदोलन की शरुवात की फिर नमक के उपर कर और नमक बनाने की सरकार एकाधिकार रद्द की जाये. ऐसी व्हाइसरॉय से मांग की  गांधीजी ने नमक का कानून तोड़कर सत्याग्रह करने की ठान ली।
  • सन १९३१ में  गांधी जी ने राष्ट्रिय सभे के प्रतिनिधि बनकर दूसरी गोलमेज परिषद को उपस्थित थे ।
  • सन १९३२ में गांधी जी ने  अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की और फिर सन१९३३ में उन्होंने ‘हरिजन’ नाम का अखबार शुरु किया सन १९३४ में गांधीजीने वर्धा के पास ‘सेवाग्राम’ इस आश्रम की स्थापना की ।
  • व्दितीय विश्वयुध्द के दौरान  महात्मा गांधीजी ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिये न लड़ने का आग्रह किया था, जिसके लिये  गांधी जी को  गिरफ्तार कर लिया गया था।
  • सन १९४७ में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई. गांधीजीने सदैव विभिन्न धर्मो के प्रति सहिष्णुता का संदेश दिया, ३० जनवरी सन १९४८ में नाथूराम गोडसे ने  गांधी जी को   गोली मार दी और उनकी मृत्यु हो गयी इस दुर्घटना से सारे विश्व में शोक की इस्थित जागृत हो गयी ।

महात्मा गांधी का नारा

  1. इंसान हमेशा वो बन जाता है जो वो होने में वो यकीन करता है. अगर मैं खुद से यह कहता रहूँ कि मैं इस चीज को नहीं कर सकता, तो यह संभव है कि मैं शायद सचमुच में वो करने में असमर्थ हो जाऊं. और इसके विपरीत अगर मैं यह यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा  ही लूँगा, फिर भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता ना रही हो ।
  2. कानों का दुरुपयोग मन को दूषित और अशांत करता है ।
  3. किसी की मेहरबानी माँगाना, अपनी आजादी बेचना है ।
  4. आँख के बदले में आँख पूरे दुनीया को अँधा बना देगी ।
  5. विश्व में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इतने भूखे हैं कि भगवान् उन्हें किसी और रूप में नहीं दिख सकता, सिवाय रोटी देने वाले के रूप में ।
  6. जब आपका सामना किसी विरोधी से हो. तो उसे प्रेम से जीतें. अहिंसा से जीते ।
  7. आप मुझे बेडियों से जकड़ सकते हैं, यातना भी दे सकते हैं, यहाँ तक की आप इस शरीर को ख़त्म भी कर सकते हैं, लेकिन आप कदापि मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते ।
  8. दिल की कोई भाषा नहीं होती, दिल – दिल से बात करता है।
  9. आप कभी भी यह नहीं समझ सकेंगे की आपके लिए कौन महत्त्वपूर्ण है जब तक की आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देंगे।
  10. जहाँ पवित्रता है, वहीं निर्भयता है ।
  11. आपको मानवता पर भरोसा नहीं खोना चाहिए। मानवता एक समुद्र है और अगर समुद्र की कुछ बूंदें मैली हो जाएं, तो समुद्र मैला नहीं हो जाता।

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