Wednesday, Oct 30, 2024 | Last Update : 05:55 AM IST
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश के एक सामान्य निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था। इनका वास्तविक नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था। लाल बहादुर शास्त्री जी के पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक शिक्षक थे हालांकि कुछ सालों बाद उन्होंने भारत सरकार के राजस्व विभाग में क्लर्क के पद पर कार्य किया।
लाल बहादुर शास्त्री की शिक्षा हरीशचंद्र उच्च विद्यालय और काशी विद्या पीठ में हुई। आपने स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की तत्पश्चात् इन्हे सममानित किया गया। सम्मानित किया गया।
लाल बहादुर शास्त्री बचपन से ही पढने में तेज थे और मात्र 10 साल की आयु में ही छटवी क्लास पास कर लिया था अपनी प्रारम्भिक शिक्षा उर्दू पढने के पश्चात आगे की पढाई करने के लिए बनारस चले आये और फिर अपना प्रवेश हरिश्चन्द्र हाईस्कूल में लिया और फिर आगे की पढाई काशी विद्यापीठ से पूरा किया।
लाल बहादुर शास्त्री जी भारत सेवक संघ से जुड़े रहे। यहीं से इनका राजनैतिक जीवन आरम्भ हुआ।
1951 में, जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में इन्हे अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किए गए। 1952, 1957 व 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से विजय का श्रेय आपके अथक परिश्रम व प्रयास का परिणाम था।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात कांग्रेस पार्टी ने 1964 में लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री पद का उत्तरदायित्व सौंपा। आपने 9 जून 1964 को भारत के प्रधान मन्त्री का पद भार ग्रहण किया। 18 महीने के कार्यकाल में एक प्रधानमंत्री के रूप में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा सन और फिर 1965 में पाकिस्तान द्वारा भारत पर अचानक से हमला कर दिया जिस पर राष्ट्रीय आपदा से निपटने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति ने आपातकाल बैठक बुलाया जिसमे सेना के तीनो सेना अध्यक्ष और प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री शामिल हुए तब सेना के तीनो अध्यक्षों ने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से सवाल किया की “सर इस स्थिति से निपटने के लिए क्या करना चाहिए” तो अदम्य दृढ साहस के प्रतिमूर्ति लाल बहादुर शास्त्री ने एक टुक में कहा “ आप देश की रक्षा के लिए को जो करना है करिए आप लोगो के साथ पूरा देश है और हमे बताईये की हमे क्या करना है”
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 26 जनवरी, 1965 को देश के जवानों और किसानों को अपने कर्म और निष्ठा के प्रति सुदृढ़ रहने और देश को खाद्य के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से ‘जय जवान, जय किसान' का नारा दिया। इस नारे ने पूरे देश को एकता के सूत्र में बाध दिया था और जिनके दृढ संकल्प के चलते विदेशी ताकते भी झुकने को मजबूर हो गयी थी यह नारा आज भी भारतवर्ष में लोकप्रिय है।
लाल बहादुर शास्त्री की 11 जनवरी 1966 को आधी रात में रहस्मय परिस्थितियों में मौत हो गयी और इनकी मृत्यु का वास्तविक स्थिति को पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम तक नही हुआ केवल दुनिया में यह खबर फैला दिया की लाल बहादुर शास्त्री की मौत हार्टअट्टेक से हुआ है जिसका खुलासा आज तक नही हो पाया है
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