Sunday, Nov 24, 2024 | Last Update : 12:29 PM IST
राजकुमारी अमृत कौर देश को आजादी मिलने के बाद भारतीय मंत्रिमण्डल में दस साल तक स्वास्थ्य मंत्री के पद पर रहीं। इन्हे देश की पहली महिला कैबिनेट मंत्री होने का सम्मान भी प्राप्त है। अमृत कौर ने महात्मा गांधी जी के साथ मिल कर दांड़ी मार्च में भाग लिया जिसके कारम उन्हे जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने 16 वर्षों तक गाँधीजी के सचिव का भी काम किया।
'अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान' (ऐम्स) की स्थापना में उनकी प्रमुख भूमिका रही थी।
वह इसकी पहली अध्यक्ष भी बनायी गयीं। इस संस्थान की स्थापना के लिए उन्होंने न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिम जर्मनी, स्वीडन और अमरीका से मदद हासिल की थी। उन्होंने और उनके एक भाई ने शिमला में अपनी पैतृक सम्पत्ति और मकान को संस्थान के कर्मचारियों और नर्सों के लिए "होलिडे होम" के रूप में दान कर दिया था।
वह बाल विवाह और पर्दा प्रथा को खत्म करने में मुख्य भुमिका निभाई । वे इन प्रथा के सख्त ख़िलाफ़ थीं। उनका कहना था कि शिक्षा को नि:शुल्क और अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। राजकुमारी अमृत कौर ने महिलाओं की दयनीय स्थिति को देखकर ही 1927 में 'अखिल भारतीय महिला सम्मेलन' की स्थापना की। वह 1930 में इसकी सचिव और 1933 में अध्यक्ष बनीं।
राजकुमारी अमृत कौर ने अपना पूरा जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया था। वे काफी रहिस घराने से तालुक रकती थी लेकिन उन्होने देश हित के लिए अपने सभी सुख त्याग दिए। उन्होने अजीवन शादी नहीं की। 2 अक्टूबर 1954 को इनका निधन हो गया।
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