Thursday, Dec 26, 2024 | Last Update : 06:03 AM IST
भारत की कोकिला कहलाने वाली सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थीं। 1947 में जब भारत को आजादी मिली तो सरोजिनी नायडू को पहली महिला राज्यपाल घोषित किया गया। सरोजिनी नायडू को एक मशहूर कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और अपने दौर की महान वक्ता के रुप में जाना जाता है।
सरोजनी नायडू का जीवन -
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 में हुआ था। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपध्याय एक वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे। इनके पिता ने हैदराबाद के निज़ाम कॉलेज की स्थापना की थी। उनकी मां वरदा सुंदरी कवयित्री थीं और बंगाली भाषा में कविताएं लिखा करती थीं। सरोजिनी नायडू आठ भाई-बहनों थे। सरोजिनी नायडू इनमें सबसे बड़ी थी। सरोजिनी नायडू ने मात्र 12 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास कर ली थी। इन्होने मद्रास प्रेसीडेंसी में पहला स्थान हासिल किया था।
सरोजिनी नायडू की रुचि हमेशा से कविता लिखने में थी। हालांकि उनके पिता चाहते थे कि वे गणितज्ञ या वैज्ञानिक बनें। सरोजिनी नायडू की कविताए इतनी अधिक प्रेरणा दायक व लोक लुभावन होती थी कि हैदराबाद के निज़ाम उनकी कविता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होने सरोजिनी नायडू को विदेश में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी। सरोजिनी 16 वर्ष की आयु में वो इंग्लैंड गयीं। वहां पहले उन्होंने किंग कॉलेज लंदन में दाखिला लिया उसके बाद कैम्ब्रिज के ग्रीतान कॉलेज से शिक्षा हासिल की।
सरोजिनी ने 19 साल की उम्र में डॉ गोविंदराजुलू नायडू से प्रेम विवाह कर लिया। उन्होंने अंर्तजातीय विवाह किया था जो कि उस दौर में मान्य नहीं था। यह एक तरह से क्रन्तिकारी कदम था मगर उनके पिता ने उनका पूरा सहयोग किया था। उनका वैवाहिक जीवन सुखमय रहा और उनके चार बच्चे भी हुए – जयसूर्या, पदमज, रणधीर और लीलामणि।
वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन के दौरान वो भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुईं। वर्ष 1925 में वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं। वर्ष 1942 के ̔भारत छोड़ो आंदोलन ̕ में भी उन्हें 21 महीने के लिए जेल जाना पड़ा। सरोजनी नायडू की बेटी पदमज, 1961 में पश्चिम बंगाल की गवर्नर बनी। सरोजिनी नायडू की मृत्यु 2 मार्च 1949 को दिल का दौरा पड़ने से लखनऊ में हुई।
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