बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध उपन्यासकार

Wednesday, Dec 25, 2024 | Last Update : 06:28 PM IST


बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध उपन्यासकार

बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1874 में लिखा गया हमारे देश का राष्‍ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' इतिहास में युगों-युगों तक अमर रहेगा क्योंकि यह गीत उनकी एक ऐसी कृति है जो आज भी प्रत्येक भारतीय के हृदय को आन्दोलित करने की क्षमता देती है।
Nov 27, 2018, 12:47 pm ISTLeadersAazad Staff
Bankim Chandra Chatterjee
  Bankim Chandra Chatterjee

बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 26 जून, 1838 ई. को बंगाल के 24 परगना ज़िले के कांठल पाड़ा नामक गाँव में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा बंगला के साथ-साथ अंग्रेज़ी व संस्कृत में भी हुई थी। आजीविका के लिए उन्होंने सरकारी सेवा की, परन्तु राष्ट्रीयता और स्वभाषा प्रेम उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ था।

बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय बंगला के शीर्षस्थ उपन्यासकारों में से एक है। जिस दौर में उन्होंने कविताओं और उपन्यासों की शुरुआत की थी वस समय बंगाल में गद्य या उपन्यास कहानी की रचनाएँ बहुत कम लिखी जाती थीं। कहां जाता है कि बंकिम ने इस दिशा में पथ-प्रदर्शक का काम किया। वे भारत के एलेक्जेंडर ड्यूमा माने जाते हैं।

बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय की प्रसिद्ध रचनाए -

मात्र 27 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पहला उपन्यास 'दुर्गेश नन्दिनी' लिखा। इस ऐतिहासिक उपन्यास से ही साहित्य में उनकी धाक जमने लगी फिर क्या था उन्होंने 'बंग दर्शन' नामक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन शुरु किया। ये पत्रिका साहित्यिक-सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दे से जुड़ी हुई थी जिसे कुछ समुदायों ने काफी सराहा।

उनकी प्रथम प्रकाशित रचना राजमोहन्स वाइफ थी। जो अंग्रेजी में प्रकाशित हुई थी। पहली प्रकाशित बांग्ला कृति ‘दुर्गेशनंदिनी’ मार्च 1865 में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है। इसके बाद उनकी 'कपाल कुण्डली', 'मृणालिनी', 'विषवृक्ष', 'कृष्णकांत का वसीयत नामा', 'रजनी', 'चन्द्रशेखर' आदि प्रकाशित हुए।

 राष्ट्रीय दृष्टि से 'आनंदमठ' उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास माना जाता है। यह एक राजनीतिक उपन्यास भी माना जाता है। आनंदमठ उपन्यास को लेकर उन्होंने बंगाल पर शासन कर रहे मुस्लिम राजाओं और मुसलमानों पर ऐसी कई टिप्पणियाँ की जिससे हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव पैदा हो गया था। हालांकि ये बात बहुत कम ही लोग जानते है कि उनकी प्रसिद्ध रचना आनंमठ में कुछ ऐसी पंक्ति है जो वंदे मातरम से जोड़ी गई है जो उपन्यास का मुख्य हिस्सा बनी।

आनंदमठ की कहानी 1772 में पूर्णिया, दानापुर और तिरहुत में अंग्रेज़ और स्थानीय मुस्लिम राजा के ख़िलाफ़ सन्यासियों के विद्रोह की घटना से प्रेरित है। आनंदमठ का सार ये है कि किस प्रकार से हिंदू सन्यासियों ने मुसलमान शासकों को हराया. आनंदमठ में बंकिम चंद्र ने बंगाल के मुस्लिम राजाओं की कड़ी आलोचना की।

बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखा गया राष्‍ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' शुरुआत में काफी विवादों में रहा। इसके पिछे ये तर्ख दिया जाता है कि भारत को दुर्गा माँ का प्रतीक मानने के कारण आने वाले वर्षों में वंदे मातरम् को मुस्लिम लीग और मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग शक की नज़रों से देखने लगा।  इस विवाद को बढ़ता देख  भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने वंदे मातरम् को आज़ाद भारत के राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार करने से मना कर दिया और इसे राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया। जानकारी के लिए बता दें कि वन्देमातरम् गीत को सबसे पहले 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था।

निधन
आधुनिक बंगला साहित्य के राष्ट्रीयता के जनक बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का 8 अप्रैल, 1894 ई. को देहान्त हो गया।

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