पूजा के दौरान क्यों किया जाता है शंख का इस्तेमाल ?

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पूजा के दौरान क्यों किया जाता है शंख का इस्तेमाल ?

हिन्दू शास्त्रों में शंख का बहुत बड़ा ही महत्व है इसका इस्तेमाल पूजा के प्रारंभ व अंत में किया जाता है। शंख की आवाज लोगं में सकारात्मक का विचार पैदा करती है।
Oct 13, 2018, 3:26 pm ISTFestivalsAazad Staff
Conch shell
  Conch shell

हिन्दू शास्त्रों में पूजा-पाठ के समय शंख बजाने का चलन युगों-युगों से चला आ रहा है। ज्यादा तर घरों में शंख को नियमित रुप से बजाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस घर के मंदिर में शंख रखा जाता है , उस घर में लक्ष्मी माता का वास होता है। हिन्दू शास्त्रों  केमुताबिक शंख, माता लक्ष्मी के भाई हैं और उनकी उत्पत्ति समुद्र से हुई है । हिंदू समाज में त्योहार, पूजा-पाठ समेत सभी प्रकार के मंगल कार्यों के अवसर पर शंख को बजाना शुभ माना जाता है।

शंख को हमेशा किसी कपड़े में या आसन पर ही रखना चाहिए।-शंख को पूरे दिन न बजाएं केवल सुबह और शाम की पूजा में ही प्रयोग करना चाहिए। शंख को हमेशा धोकर रखे और किसी का शंख न प्रयोग करे और न ही अपना शंख किसी को प्रयोग करने दें।

भारत में शंख के कई प्रकार -

दक्षिणावृत्ति  शंख ,

मध्यावृत्ति शंख,

वामावृत्ति शंख ,

महालक्ष्मी शंख ,

मोती शंख और

गणेश शंख ।

मान्यताओं के अनुसार पूजा-पाठ के दौरान सबसे ज्यादा दक्षिणावृत्ति शंख और वामावृत्ति शंख का ही उपयोगी किया जाता है। इसे लेकर लोगों का मानना है कि दक्षिणावृत्ति शंख भगवान विष्णु की पूजा में उपयोग होता है। वहीं वामावृत्ति शंख माता लक्ष्मी की पूजा  में इस्तमाल किया जाता है।

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