Thursday, Oct 03, 2024 | Last Update : 08:25 PM IST
सकट चौथ व्रत महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु और सफलता के लिये करती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान को रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है तथा उनके जीवन में आने वाली सभी विघ्न व बाधायें गणेश जी दूर कर देते हैं। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है और शाम को गणेश पूजन तथा चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात् ही जल ग्रहण करती है ।
-दूर्वा, शमी, बेलपत्र और गुड़ में बने तिल के लड्डू भगवान गणेश जी को अर्पित किए जाते है।
-इस दिन तिल का प्रसाद खाना शुभ माना जाता है।
-इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है।
व्रत से जुड़ी कथा -
सत्ययुग में महाराज हरिश्चंद्र के नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार उसने बर्तन बनाकर आंवा लगाया, पर आवां पका ही नहीं। बार-बार बर्तन कच्चे रह गए। बार-बार नुकसान होते देख उसने एक तांत्रिक से पूछा, तो उसने कहा कि बलि से ही तुम्हारा काम बनेगा। तब उसने तपस्वी ऋषि शर्मा की मृत्यु से बेसहारा हुए उनके पुत्र की सकट चौथ के दिन बलि दे दी।
उस लड़के की माता ने उस दिन गणेश पूजा की थी। बहुत तलाशने पर जब पुत्र नहीं मिला, तो मां ने भगवान गणेश से प्रार्थना की। सवेरे कुम्हार ने देखा कि वृद्धा का पुत्र तो जीवित था। डर कर कुम्हार ने राजा के सामने अपना पाप स्वीकार किया। राजा ने वृद्धा से इस चमत्कार का रहस्य पूछा, तो उसने गणेश पूजा के विषय में बताया। तब राजा ने सकट चौथ की महिमा को मानते हुए पूरे नगर में गणेश पूजा करने का आदेश दिया।