Thursday, Oct 03, 2024 | Last Update : 08:03 PM IST
निर्जला एकादशी के दौरान सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग करना चाहिए। इस दिन श्रद्धालु निर्जला उपवास रखते हैं। इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है।
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस बार यह 23 जून को है। सनातन धर्म में इस व्रत को श्री हरि का सर्वाधिक प्रिय व्रत मान गया है। इस व्रत को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। इसके पिछे ये मान्यता है कि पांडू के बेटे भीम ने बडे़ साहस के साथ निर्जला एकादशी का व्रत किया, लेकिन इस कठिन व्रत के कारण सुबह होने तक वह बेहोश हो गए। तब गंगाजल, तुलसी चरणामृत, प्रसाद देकर अन्य पांडव उन्हें होश में लाए। भीम ने द्वादशी को स्नान आदि कर भगवान केशव की पूजा कर व्रत सम्पन्न किया। इसी कारण इसे भीमसेन एकादशी भी नाम दिया गया।
इस दिन ये करना चाहिए दान -
यह व्रत करने वाले व्यक्ति को स्वछ शीतल जल और चीनी से भरे घड़े, सफेद वस्त्र, पंखे और छतरी का दान करना चाहिए। अगर गौर किया जाए तो दान में दी जाने वाली ये सभी वस्तुएं गर्मी के मौसम के लिए उपयोगी होती हैं।
निर्जला एकादशी का आरंभ 23 जून 2018 को 3:19 बसे से शुरु हो जाएगा। निर्जला एकादशी का पारण 24 जून 2018 (रविवार)को 13:46 -16:42 पर किया जाएगा।
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