Wednesday, Dec 25, 2024 | Last Update : 06:38 PM IST
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार में जन्मे वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के ही विक्टोरिया ( अब लक्ष्मीबाई ) कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई। इनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था।इनके पिता स्कूल टीचर थे।
पत्रकारिता से शुरु किया था करियर -
पत्रकारिता से इन्होने अपने करियर की शुरुआत की थी। इन्होने राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया। सन 1953 में अटल जी दिल्ली आए और यहां उन्होने भारतीय जनसंघ के नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी से मुलाकात की। जो जम्मू-कश्मीर में लागू परमिट सिस्टम का विरोध करते थे इस स्टोरी को अटल जी कवर करने के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ ही गए।
परमिट सिस्टम के मुताबिक किसी भी भारतीय को जम्मू-कश्मीर राज्य में बसने की इजाजत नहीं थी।यही नहीं, दूसरे राज्य के किसी भी व्यक्ति को जम्मू-कश्मीर में जाने के लिए अपने साथ एक पहचान पत्र लेकर जाना अनिवार्य था। डॉ. मुखर्जी इसका विरोध कर रहे थे। वे परमिट सिस्टम को तोड़कर श्रीनगर पहुंच गए थे। एक इंटरव्यू के दौरान वाजपेयी जी बताते हैं, कि 'पत्रकार के रूप में मैं उनके साथ था। वे गिरफ्तार कर लिए गए, लेकिन हम लोग वापस आ गए।डॉ. मुखर्जी ने मुझसे कहा कि वाजपेयी जाओ और दुनिया को बता दो कि मैं कश्मीर में आ गया हूं, बिना किसी परमिट के।’
इस घटना के कुछ दिनों बाद ही नजरबंदी में रहने वाले डॉ. मुखर्जी की बीमारी की वजह से मौत हो गई। इस घटना से वाजपेयी काफी आहत हुए। वह इंटरव्यू में कहते हैं, 'मुझे लगा कि डॉ. मुखर्जी के काम को आगे बढ़ाना चाहिए।’ इसके बाद वाजपेयी राजनीति में आ गए।
राजनीतिक सफर -
1951 में ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ भारतीय जन संघ (अब भारतीय जनता पर्टी) के संस्थापक सदस्य रहे। 1957 में अटल जी ने जन संघ में तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़े। जिसमें लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर शामिल थे। लखनऊ में उन्हे जीत हासिल ना हो सकी। वहीं मथुरा में उनकी ज़मानत ज़ब्त हो गई लेकिन बलरामपुर से चुनाव जीतकर वो दूसरी लोकसभा में पहुंचे। अगले पाँच दशकों के उनके संसदीय करियर की यह शुरुआत थी।
1968 से 1973 तक वो भारतीय जन संघ के अध्यक्ष रहे। देश में जब आपातकाल लागू किया गया था तब विपक्षी पार्टियों के व अपने दूसरे साथियों की तरह उन्हें भी जेल जाना पड़ा था।
सन 1977 में अटल जी का राजनीतिक सफर फरमान चड़ने लगा था और उन्हे जनता पार्टी सरकार में उन्हे विदेश मंत्री बनाया गया। इस दौरान उन्होने संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में हिंदी में भाषण दिया था जिसे वो अपना सबसे सुखद क्षण मानते है।
अटल जी 1980 तक बीजेपी के संस्थापक सदस्य बने रहे। 1980 से 1986 तक वो बीजेपी के अध्यक्ष रहे और इस दौरान वो बीजेपी संसदीय दल के नेता भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी ने लाल कृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर भाजपा की स्थापना की थी और उसे सत्ता के शिखर पहुंचाया।
संसद से प्रधानमंत्री तक का सफर -
अटल बिहारी वाजपेयी नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं। 1962 से 1967 और 1986 में वो राज्यसभा के सदस्य रहे। 16 मई 1996 को वो पहली बार अटल जी प्रधानमंत्री बने लेकिन लोकसभा में पूर्ण बहुमत साबित नहीं कर पाने की कारण 31 मई 1996 को उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। 1998 में पूर्ण बहुमत के साथ अटल जी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनाए गए और 2004 तक वो इस पद पर रहे। अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिक का जीवन लगभग आधी सदी का है। इस दौरान उन्होंने भारत में कई उतार-चढ़ाव देखे। वाजपेयी काफी दिनों से बीमार हैं और वह करीब 15 साल पहले राजनीति से संन्यास ले चुके है।
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