Friday, Nov 22, 2024 | Last Update : 11:49 AM IST
संचार और डिजिटल क्रांति में दुरदर्शन का एक बहुत बड़ा योगदान है। 15 सितंबर 1959 में आज ही के दिन सरकारी प्रसारक के तौर पर दूरदर्शन की स्थापना हुई थी। टेलीविजन को हिंदी में दूरदर्शन कहते हैं। टेलीविजन दो शब्दों से मिलकर बना है -टेली और विजन। जिसका अर्थ होता है दूर के दृश्यों का आँखों के सामने उपस्थित होना। दूरदर्शन रेडियो की तकनीक का ही विकसित रूप है। टेलीविजन का सबसे पहला प्रयोग 1925 में ब्रिटेन के जॉन एल० बेयर्ड ने किया था। दूरदर्शन का अविष्कार 1926 में जॉन एल० बेयर्ड के द्वारा किया गया था। भारत में दूरदर्शन का प्रसारण 15 सितंबर 1959 में किया गया था।
एक दौर था जब दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते थे। छोटे से पर्दे पर चलती बोलती तस्वीरें दिखाने वाला बिजली से चलने वाला यह डिब्बा लोगों के लिए कौतुहल का विषय था।
इस टेलीविजन में एक एंटीना लगा हुआ करता था जिसके माध्यम से देश की कला और संस्कृति को लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाता था। दूरदर्शन सरकारी प्रसारण सेवा का एक अभिन्न अंग था। 1965 में दूरदर्शन पर पांच मिनट का न्यूज बुलेटिन हुआ करता था। 1975 तक यह सिर्फ 7 शहरों तक ही सीमित था।
दूरदर्शन पर राष्ट्रीय प्रसारण की शुरूआत 1982 में हुई। इसी वर्ष दूरदर्शन का स्वरूप रंगीन हो गया। इससे पहले यह श्वेत श्याम ही हुआ करता था। दूरदश्न ने देश में तब तहलका मचा दिया था जब 1986 में रामानंद सागर की 'रामायण' और रवी चोपड़ी की महाभारत की शुरुआत हुई। प्रसारण के दौरान हर रविवार को सुबह देश भर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता था। इस कर्यक्रम को देखने के लिए लोग की भारी संख्या में भीड़ उमड़ जाती थी। लोग सड़कों पर उस समय यात्रा नहीं करते थे।
ये बात आज के युवाओं को भले ही अटपटी लगे लेकिन ये सत्य है कि इस कार्यक्रम के शुरु होने से पहले लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके अगरबत्ती और दीपक जलाकर रामायण का इंतजार करते थे और एपिसोड के खत्म होने पर बकायदा प्रसाद बांटते थे।
आज दूरदर्शन पर 2 राष्ट्रीय और 11 क्षेत्रीय चैनलों के साथ दूरदर्शन के कुल 21 चैनल प्रसारित होते हैं। इसके 14 हजार जमीनी ट्रांसमीटर और 46 स्टूडियो के साथ यह देश का सबसे बड़ा प्रसारणकर्ता है।
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