Friday, Nov 22, 2024 | Last Update : 05:41 PM IST
दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर, 1916 को राजस्थान के धन्किया में एक मध्यम वर्गीय हिंदू परिवार में हुआ था. /ये महान चिन्तक और संगठनकर्ता थे. इनकी साहित्य में शुरु से ही गहरी रूचि थी।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के पिता का नाम श्री भगवती प्रसाद उपाध्याय तथा मां का नाम रामप्यारी था. उनके पिता जलेसर में सहायक स्टेशन मास्टर के तौर पर कार्यरत थे. दीनदयाल उपाध्याय जब ढाई वर्ष के थे तो इनके पिता का साया इनके सर से उठ गया था। इसके बाद उनका परिवार उनके नाना के साथ रहने लगा. हालांकि कुछ सालों में मां का भी देहांत हो गया। दीनदयाल उपाध्याय जी जब 10 वर्षों के थे तो उनके नाना का भी निधन हो गया. उनके मामा ने उनका पालन पोषण अपने ही बच्चों की तरह किया.दीनदयाल ने कम ऊम्र में ही अनेक उतार-चढ़ाव देखा, परंतु अपने दृढ़ निश्चय से जिन्दगी में आगे बढ़े.
शिक्षा-
ये पढ़ने में काफी तेज थे स्कूल और कॉलेज में अध्ययन के दौरान कई स्वर्ण पदक और प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए. स्कूल की शिक्षा जीडी बिड़ला कॉलेज, पिलानी से की और स्नातक की की शिक्षा कानपुर विश्वविद्यालय की। इन्होने सनातन धर्म कॉलेज से B.A. किया।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की साहित्य में गहरी रूचि थीं. इन्होने काफी लेख हिंदी और अंग्रेजी में लिखे हैं। इन्होने लोगों की सेवा के लिए आर.एस.एस. से जुड़े . अपने कार्यकाल के दौरान एक साप्ताहिक समाचार पत्र ‘पांचजन्य’ और एक दैनिक समाचार पत्र ‘स्वदेश’ की भी शुरूआत की।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने नाटक ‘चंद्रगुप्त मौर्य’ और हिन्दी में शंकराचार्य की जीवनी लिखी. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार की जीवनी का मराठी से हिंदी में अनुवाद किया. उनकी अन्य प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों में ‘सम्राट चंद्रगुप्त’, ‘जगतगुरू शंकराचार्य’, ‘अखंड भारत क्यों हैं’, ‘राष्ट्र जीवन की समस्याएं’, ‘राष्ट्र चिंतन’ और ‘राष्ट्र जीवन की दिशा’ आदि हैं.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अनमोल विचार :
* हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारत माता हैं, केवल भारत ही नहीं माता शब्द को हटा दीजिए तो भारत केवल जमीन का एक टुकड़ा मात्र रह जायेगा.
* व्यक्ति को वोट दें, बटुए को नहीं. पार्टी को वोट दें, किसी व्यक्ति को नहीं. सिंद्धांत को वोट दें, किसी पार्टी को नहीं.
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