Wednesday, Nov 27, 2024 | Last Update : 03:03 AM IST
गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए केंद्र सरकार भले ही नमामि गंगे जैसी परियोजना चला रही है जिसे लेकर अभी तक भारी-भरकम धनराशि खर्च की जा चुकी है लेकिन आज भी गंगा का पानी इताना अधिक दूषित है जो पीने योग्य तो क्या स्नान करने योग्य भी नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के एनजीओ वर्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने इसे दुनिया की सबसे संकटग्रस्त नदी करार दिया है। इस अंतरराष्ट्रीय संस्था का गंगा को लेकर जारी किया गया यह बयान सरकार के लिए एक बड़ा झटका है।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की रिपोर्ट के मुताबिक गंगा नदी को दुनिया की संकटग्रस्त नदी कहने के पिछे ये तर्क दिया गया है कि गंगा नदी भी उन भारतीय नदियों की तरह है जिसमें पहले बाढ़ और फिर सूखे की स्थिति पैदा हो रही है ।
हरिद्वार में 20 घाट है जहां रोजाना 15 लाख से ज्यादा श्रद्धालू स्नान करते है। गंगा का उद्गम स्थान हिमालय है हिमालय से गंगा जब निकलनी शुरु होती है तो कई स्थान तक पहुंचते हुए वो प्रदूषित हो जाती है। गंगा को प्रदूषित करने वाले कारखाने और इनसे निकलने वाले कचरे ने गंग को प्रदूषित कर रखा है। हालांकि सरकार ने 500 मीटर तक के क्षेत्र में कचरा फेकने पर पाबंदी लगा रखी है। लेकिन छोटे नालों से आ रहा पानी गंगा में आकर मिल रहा है। जो इसे सबसे ज्यादा प्रदूषित कर रहा है।
आपको बता दे कि गंगा का पानी 40 करोड़ लोगों के लिए पानी का श्रोत है जो जीवन के लिए सबसे अहम अंग है। बता दें कि कंनौज, इलाहाबाद जैसी जगहों पर गंगा के पानी की शुद्धता फेल हो चुकी है। यहां का पानी स्नान करने योग्य भी नही है। बता दें कि भारत में गंगा क्षेत्र में 565,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर खेती की जाती है, जोकि भारत के कुल कृषि क्षेत्र का लगभग एक तिहाई है।
गंगा नदी के रास्ते में पड़ने वाले राज्यों में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। गंगा में उत्तर की ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियों में यमुना, रामगंगा, करनाली (घाघरा), ताप्ती, गंडक, कोसी और काक्षी हैं जबकि दक्षिण के पठार से आकर मिलने वाली प्रमुख नदियों में चंबल, सोन, बेतवा, केन, दक्षिणी टोस आदि शामिल हैं।
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