Sunday, Nov 24, 2024 | Last Update : 02:17 PM IST
ग्राउंड और सरफेस वाटर के बेहतर प्रबंधन के लिए राज्य सरकार समग्र जल विधेयक लाने जा रही है। इसमें पेयजल, सिंचाई और उद्योगों के लिए पानी की मात्रा तय की जाएगी तो पानी की बर्बादी रोकने के लिए सजा का प्रावधान किया जाएगा। विधेयक के लिए सरकार मसौदा तैयार करने में जुटी है। इसे मानसून सत्र में विधानसभा में पेश किया जा सकता है।
राज्य में फिलहाल १९३२ के कानून के आधार पर जल प्रबंधन किया जाता है. यही वजह है कि अलग-अलग उपयोग के लिए पानी की मात्रा या गुणवत्ता तय नहीं है। हालत यह है कि बरसों पुराने कानून को नहीं बदलने के कारण कोई रेग्युलेटरी अथाॅरिटी भी नहीं बनाई गई है। इसी कारण उद्योगों के बोर खनन के लिए आज भी केंद्रीय भूजल बोर्ड से मंजूरी लेनी पड़ती है।
बता दें कि गर्मी में पेयजल संकट को दूर करने के लिए नई जलप्रदाय योजना के तहत पाइपलाइन विस्तार के लिए ७८ करोड़ ४० लाख और टंकियों के निर्माण के लिए जल आवर्धन योजना के तहत ५० करोड़ ९४ लाख का प्रावधान किया है। वहीं केंद्र सरकार की योजना अमृत मिशन के लिए प्रदेश के नौ शहर रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, कोरबा, राजनांदगांव, रायगढ़, जगदलपुर और अंबिकापुर को चुना गया है। इस योजना से सभी नौ शहरों की जनता को चौबीसों घंटे पेयजल मिल सकेगा। इस योजना को गति देने के लिए राज्य सरकार ने ३९६ करोड़ का बजट रखा है।
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