Thursday, Nov 28, 2024 | Last Update : 04:57 PM IST
भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने संसद की स्थायी समिति द्वारा पेश किए गए केंद्रीय राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग बिल (एनएमसी) की सिफारिशों को खारिज कर दिया है। रविवार को भारत के निजी डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था आईएमए ने 2 अप्रैल से देशभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की बात कही है।
जिसके तहत 16 राज्यों के 25,000 से ज्यादा डॉक्टर्स ने दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में महापंचायत की। सभी ने संसदीय समितियों की सिफारिशों को ठुकरा दिया है।
एनएमसी बिल में आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के लिए एक साल का ब्रिज कोर्स तैयार करने का प्रस्ताव है। कोर्स पूरा करने के बाद वह मॉडर्न मेडिसिन की भी प्रैक्टिस कर सकते हैं। इस प्रस्ताव का एलोपैथी डॉक्टर विरोध कर रहे हैं।
बता दें कि एनएमसी में यह भी प्रस्ताव है कि राष्ट्रीय लाइसेंटिएट परीक्षा (एनएलई) हर एमबीबीएस डॉक्टर के लिए अनिवार्य होगी जिसमें विदेशी स्नातक भी शामिल हैं। इसके जरिए उन्हें प्रैक्टिस करने का पात्र बनाया जाएगा। जिसका छात्र विरोध कर रहे हैं। डॉक्टरों ने अन्य मुद्दों पर भी जमकर भड़ास निकाली। इसमें मुख्य रूप से नॉन मेडिकल को टीचिंग प्रोफेशन में शामिल करने और डॉक्टरों पर हो रहे असॉल्ट के मुद्दे प्रमुख थे।
बहरहाल डॉक्टरों का कहना है कि सरकार केवल आयुष को बढ़ावा देना चाहती है तो उसे होम्योपैथी, डेंटिस्ट और फार्मासिस्ट के लिए कानून नहीं बनाने चाहिए।
एनएमसी बिल क्या है-
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को खत्म कर केंद्र सरकार नेशनल मेडिकल कमिशन बिल (एनएमसी) लाना चाहती है। यह रेगुलेटरी बॉडी के तरह काम करेगी। सरकार इस बिल से देश में चिकित्सा शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाना चाहती है।
...