Monday, Jan 13, 2025 | Last Update : 10:26 PM IST
समलैंगिक सेक्स को अपराध मानने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार करेगा। इस मामले में एक बार फिर से सुनवाई होगी जो 10 जुलाई से शुरू होगी। इस संबंध में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि धारा 377 को जल्द ही खत्म किया जा सकता है।
मिली जानकारी के मुताबिक अदालत ने यह आदेश 10 अलग-अलग याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि आईपीसी की धारा 377 अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार) और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है।
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने आज इस मामले को संविधान पीठ के सुपुर्द कर दिया, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 की वैधता पर पुनर्विचार करेगी। खंडपीठ ने कहा कि वह धारा 377 की संवैधानिक वैधता जांचने और उस पर पुनर्विचार करने को तैयार है।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बदलते हुए 2013 में बालिग समलैंगिकों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बनाने को अपराध करार दिया था।
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