Wednesday, Nov 27, 2024 | Last Update : 06:36 PM IST
समलैंगिगता को अपराध मानने वाली आईपीसी धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ मंगलवार से इस मामले में सुनवाई शुरु कर दी है। गौरतलब है कि इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चार हफ्ते के लिए इस सुनवाई को टालने के आग्रह को ठुकरा दिया था।
इस मामले की सुनवाई में पांच न्यायाधीशों में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, आरएफ नरीमन, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा शामिल हैं। धारा 377 के तहत ये बात कहीं गई है कि एलजीबीटी समुदाय अपने आप को अघोषित अपराधी महसूस करता है। समाज भी इन्हें दूसरी नजरों से देखता है। इन्हें संवैधानिक प्रावधानों से सुरक्षित महसूस करना चाहिए। पश्चिमी दुनिया में इस विषय पर शोध हुए हैं। इस तरह की यौन प्रवृत्ति के वंशानुगत कारण होते हैं।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को दरकिनार करते हुए समलैंगिक यौन संबंधों को आईपीसी की धारा 377 के तहत ‘अवैध’ घोषित कर दिया था।
...