Tuesday, Nov 26, 2024 | Last Update : 03:19 PM IST
सबरीमाला मंदिर का विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दिए जाने के बाद भी महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया गया। इस बीच, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मामले पर अपनी राय जाहिर करते हुए तर्क दिया है कि अगल रजस्वला अवस्था में महिलाएं जब खून से सना पैड लेकर दोस्त के घर नहीं जातीं तो भगवान के घर कैसे जा सकती हैं।
बता दें कि यह विवादित बयान मुम्बई में ब्रिटिश हाई कमीशन और आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित "यंग थिंकर्स" कान्फ्रेंस के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि पूजा करना हमारा धर्म है लेकिन उसे अपवित्र करना नहीं। हालांकि जब सोशल मीडिया पर केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर सवाल उठने लगे तब स्मृति ईरानी ने ट्वीट कर लिखा कि ये फेक न्यूज है और वो जल्द ही इसका वीडियो पोस्ट करेंगी।
स्मृति ईरानी ने इस बात का भी जिक्र किया की 'मैं हिंदू धर्म को मानती हूं और मैंने एक पारसी व्यक्ति से शादी की। मैंने यह सुनिश्चित किया कि मेरे दोनों बच्चे पारसी धर्म को माने, जो आतिश बेहराम जा सकते हैं। आतिश बेहराम पारसियों का प्रार्थना स्थल होता है। ईरानी ने याद किया जब उनके बच्चे आतिश बेहराम के अंदर जाते थे तो उन्हें सड़क पर या कार में बैठना पड़ता था। उन्होंने कहा, ''जब मैं अपने नवजात बेटे को आतिश बेहराम लेकर गई तो मैंने उसे मंदिर के द्वार पर अपने पति को सौंप दिया और बाहर इंतजार किया क्योंकि मुझे दूर रहने और वहां खड़े ना रहने के लिए कहा गया।
आपको बता दें कि नेदुम्परा राष्ट्रीय अयप्पा श्रद्धालु संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया गया था जिस पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर तक टाल दी है। पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था कि सबरीमला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी जाए।
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