Wednesday, Nov 20, 2024 | Last Update : 02:54 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने २०१८ के संशोधित एससी-एसटी कानून (SC/ST Act) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई १९ फरवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मार्च २०१८ के फैसले के बाद कानून में संशोधन किया गया है। इसे लेकर केंद्र ने पुर्नविचार याचिका दाखिल की है।
नए कानून को लेकर भी जनहित याचिकाएं दाखिल हैं। ऐसे में पीठ सारे मामलों की एक साथ सुनवाई करेगी। इस मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले पर विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता है लिहाजा इस मामले में अब १९ फरवरी को सुनवाई होगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी एससी/एसटी संशोधन एक्ट २०१८ पर रोक लगाने से इनकार कर चुका है।उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट में किए गए नए संशोधनों पर रोक नहीं लगाई जा सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने इस एक्ट के (संशोधित) प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र की प्रतिक्रिया भी मांगी थी।
जाने क्या है पूरा मामला -
अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम १९८९ के तहत जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होता था। ऐसे मामलों में जांच केवल इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर ही करते थे। इन मामलों में केस दर्ज होने के बाद तुरंत गिरफ्तारी का भी प्रावधान था। इस तरह के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं मिलती थी. सिर्फ हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकती थी। सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होती थी। एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होती थी।
लेकिन, २१ मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट १९८९) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है। जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है, उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से हो सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। दलित संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था। जिसके बाद केंद्र सरकार ने संशोधन बिल पास कर पुराने नियमों को वापस लागू कर दिया।
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