पर्यावरण के लिए पॉलीथिन का इस्तमाल बन सकता है जानलेवा

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पर्यावरण के लिए पॉलीथिन का इस्तमाल बन सकता है जानलेवा

हर रोज लगभग 9 हजार टन प्लास्टिक वेस्ट कलेक्ट व रिसाइकिल किया जाता है।
Feb 10, 2018, 10:54 am ISTNationAazad Staff
Polythene
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पॉलीथिन पर्यावरण के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। सरकार द्वारा तमाम प्रयासो के  बावजूद पॉलीथिन के इस्तमाल पर रोक नहीं लग पा रही है। तमाम स्वरूपों में मिलने वाली पॉलीथिन पर्यावरण के लिए भारी मुसिबत का कारण बनती जा रही है और अगर इस पर जल्द ही रोक ना लगी तो ये हमारे पर्यावरण के लिए खतरानक सिद्ध हो सकती है।

आपको बता दें कि भारत में लगभग दस से पंद्रह हजार इकाइयाँ पॉलीथीन का निर्माण कर रही हैं। सन 1990 के आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में इसकी खपत 20 हजार टन थी जो अब बढ़कर तीन से चार लाख टन तक पहुँचने वाली है।

पॉलीथिन के इस्तमाल से होने वाली समस्याएं-
वैसे तो हर किसी को मालूम है कि पॉलीथिन को टिस्ट्रोए नहीं किया जा सकता है। इसे जलाने से पर्यावरण दूषित होगा लोगों को सांस लेने में परेशानी होगी इसके साथ ही कई शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होगी। आपको बता दें कि एक सर्वे के मुताबिक पॉलीथिन से लोगों में कैंसर का भी खतरा बढ़ा रहा है। स्थिति यह है कि पॉलीथिन के उपयोग के कारण लोगों पर जीवन भर रोगों का संकट मंडराता रहता है। यही नहीं, यह गर्भस्थ शिशु के विकास को भी रोक सकती है। नष्ट न होने के कारण यह भूमि की उर्वरा शक्ति को खत्म कर रही है। यदि इसे दस तक भी जमीन में दबाए रखा जाए यह तब भी नहीं गलती है। पालीथिन देश में गिरते भूजल स्तर की एक बड़ी वजह साबित हो रही है।

पॉलीथिन की जगह इसका करें इस्तमाल-

पॉलीथिन से होने वाली समस्याओं को देखते हुए बड़े दुकानदारों ने नॉन वोवन कैरी बैग इस्तेमाल करने शुरू किए हैं। यह बैग मिट्टी में गल जाता है। प्लास्टिक का एक सब्स्टीट्यूट तैयार किया गया है। जिसके लिए व्यापारी भी अधिक जोर दे रहे हैं। प्लास्टिक बैग की जगह अब ये बैग शहर में तैयार होने लगे हैं। सिटी परतापुर इलाके में निखिल राणा ने भी ऐसे ही बैग बनाने की फैक्ट्री लगा रखी है। जिनको बनवाकर दुकानों पर सप्लाई किया जाता है। ऐसे में अब पॉलीथिन की आवश्यकता नहीं होती। यह बैग अगर कूड़े में फेंक भी दिए जाएं तो परेशानी नहीं होती।

पॉलीथिन की जगह बायोडिग्रेडेबल बैग
दवा मार्केट खैरनगर में दवा व्यापारी रजनीश कौशल ने अपने कस्टमर को पॉलीथिन के बैग की जगह दूसरे बैग देने शुरू कर दिए। इनका कहना है कि पिछले साल भी इन्होंने पॉलीथिन के बैग को बंद करने के लिए अभियान चलाया था। हजारों रुपए के स्टीकर भी छपवाए गए। लोगों को इसके प्रति जागरूक किया गया, इसके बावजूद लोगों में पॉलीथिन के प्रति कमी नही आई। एक बार फिर आईनेक्स्ट के साथ मिलकर पॉलीथिन को बंद कराने के लिए आगे आए हैं। मंगलवार को व्यापारी खैरनगर में पॉलीथिन की जगह दूसरे कैरी बैग देंगे और लोगों को जागरूक भी करेंगे।

वैसे तो कई राज्यों मे पॉलीथिन पर बैन है जिसके अंतर्गत हरियाण, हिमाचलप्रदेश , चंडीगढ़, आदि शामिल है लेकिन फिर भी पॉलीथिन का इस्तमाल कम नहीं हुआ है। लोग इसका धड़ल्ले से इस्तमाल कर रहे है।

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