मन की बात' कार्यक्रम को में पीएम ने कहा एक बेटी दस बेटों के बराबर

Friday, Nov 29, 2024 | Last Update : 05:12 AM IST


मन की बात' कार्यक्रम को में पीएम ने कहा एक बेटी दस बेटों के बराबर

मन की बात' कार्यक्रम की 40वीं कड़ी में नारी शक्ति पर दिया जोर।
Jan 29, 2018, 3:04 pm ISTNationAazad Staff
Narendra Modi
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मन की बात' कार्यक्रम की 40वीं कड़ी को रविवार को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश वाशियों को संबोधित करते हुए कई मुद्दों पर बात की इनमें कुछ बातें अहम रही -

प्रधानमंत्री ने मन की बात में महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में विदूषियों की लंबी परंपरा रही है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि एक बेटी दस बेटों के बराबर है। दस बेटों में जितना पुण्य मिलेगा एक बेटी से उतना ही पुण्य मिलेगा। यह हमारे समाज में नारी के महत्व को दर्शाता है।

इस साल गणतंत्र दिवस परेड के मौके पर बीएसफ की महिला बाइकर्स के करतब से लेकर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की सुखोई में उड़ान का भी जिक्र कर प्रधानमंत्री ने यह जताने की कोशिश की है कि आज देश की सुरक्षा में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।

तीन तलाक बिल के मसले पर भी मुस्लिम महिलाओं की सहानुभूति को अपने पाले में भुनाने की कोशिश होती रही है. मुस्लिम महिलाओं को बिना संरक्षक के भी हज यात्रा पर जाने की अनुमति को लेकर भी सरकार की तरफ से अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश की जाती रही है। बता दें कि 31 दिंसबर को अपने पिछले मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री ने इसका जिक्र भी किया।

आज आम आदमी बगैर सिफारिश के सफल हो रहा है।समाज के सभी लोगों को विकास का लाभ मिले, इसके लिए कुरीतियों को समाप्त करना जरूरी है।

रधानमंत्री जन औषधि योजना का उद्देश्य हेल्थ केयर को सस्ता बनाना है. जन-औषधि केन्द्रों पर मिलने वाली दवाएं बाज़ार में बिकने वाली दवाइयों से लगभग 50-90% तक सस्ती हैं. सस्ती दवाइयां प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि केन्द्रों, अस्पतालों के 'अमृत स्टोर्स' पर उपलब्ध हैं.

स्वच्छ भारत अभियान के तहत अकोला के नागरिकों ने मोरना नदी को साफ़ करने के लिए स्वच्छता अभियान का आयोजन किया था. इसमें छह हज़ार से अधिक नागरिकों, सौ से अधिक एनजीओ, कॉलेज, छात्र, बच्चे, बुजुर्ग, माताएँ-बहनें हर किसी ने इसमें भाग लिया.

पद्म पुरस्कारों  को लेकर पीए मोदी ने कहा कि पिछले तीन वर्षो में बड़ा बदलाव दिखा है। ऐसे चेहरों को सम्मानित करने की परंपरा शुरू हुई है जिन्होंने अनजान रहते हुए समाज में बड़े बदलाव और प्रयास किए हैं। नागरिक किसी को भी नामित कर सकता है। पूरी प्रक्रिया आनलाइन और पारदर्शी हो गई है। अब पद्म पुरुस्कारों में व्यक्ति का नहीं उसके काम का महत्व बढ़ रहा है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने 30 जनवरी को पूज्य बापू की पुण्य-तिथि को लेकर कहा कि जिन्होंने हम सभी को एक नया रास्ता दिखाया है।अगर हम संकल्प करें कि बापू के रास्ते पर चलें -जितना चल सके, चलें - तो उससे बड़ी श्रद्धांजलि क्या हो सकती है?

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