जानिए SC/ST एक्ट में सुप्रीम कोर्ट ने क्या ऐसा किया है बदलाव जिसके कारण देशभर में भड़क उठी है हिंसा

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जानिए SC/ST एक्ट में सुप्रीम कोर्ट ने क्या ऐसा किया है बदलाव जिसके कारण देशभर में भड़क उठी है हिंसा

एससी एसटी एक्ट के इन अधिनियमों में किए गए बदलाव से देश भर में भड़क उठी है हिंसा
Apr 3, 2018, 3:02 pm ISTNationAazad Staff
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एससी एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए बदलाव के खिलाफ देशभर में दलित संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है। कई राज्यों में प्रदर्शनकारियों ने इस विरोध को हिंसा का रुप दे दिया है। जगह जगह पर तोड़ फोड़ की जा रही है। कई यातायात वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। इतना ही नही इस हिंसक प्रदर्शन के कारण शिक्षण संस्थान, चिकित्सक सहायता सहित हर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। कई इलाको में धारा 144 लागू कर दी गई है।

हालांकि इस बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लेकर केंद्र सरकार पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को महाराष्ट्र के एक मामले को लेकर एससी एसटी एक्ट में नई गाइडलाइन जारी की थी। जिसको लेकर भारत बंद का ऐलान कर प्रदर्शकारी विरोध पर सड़कों पर उतर आए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में ये नए बदलाव किए है-
एससी/एसटी एक्ट के तहत अत्याचार निवारण अधिनियम 1989  के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई है। यानी की अगर शिकायत मिलती है तो तुंरत मुकद्दमा दर्ज नहीं किया जाएगा।

शिकायत की जांच डीएसपी लेवल के पुलिस अफसर द्वारा की जाएगी और यह जांच समयबद्ध होगी। इसके अलावा यदि कोई सरकारी कर्मचारी अधिनियम का दुरूपयोग करता है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए विभागीय अधिकारी की अनुमति जरूरी होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। बता दें कि जारी इस अधिनियम के तहत जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है, उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से होगी।

एससी/एसटी एक्ट के तहत पहले के ये थे नियम-

एससी/एसटी एक्ट के तहत पहले जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज किया जाता था। इसके साथ ही ऐसे मामलों में जांच केवल इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर ही करते थे। इन मामलों में केस दर्ज होने के बाद तुरंत गिरफ्तारी का भी प्रावधान था। इस तरह के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं मिलती थी जमानत के लिए हाईकोर्ट में ही अर्जी डालनी पड़ती थी। एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होती थी।

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