कैसे उपयोगी है विकृति सुधार सर्जरी से पहले सॉफ्टवेयर असिस्टेंस?

Tuesday, Dec 24, 2024 | Last Update : 04:41 AM IST

कैसे उपयोगी है विकृति सुधार सर्जरी से पहले सॉफ्टवेयर असिस्टेंस?

नारायण सेवा संस्थान की तरफ से राजस्थान के उदयपुर में पोलियो से पीड़ित, विकलांग, व अन्य भयानक बीमारियों से पीड़ित जरूरतमंद बच्चों व लोगों के आपरेशन निशुल्क करवाएं जाते है।
Jul 29, 2019, 4:23 pm ISTNationAazad Staff
Surgery
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राजस्थान के उदयपुर की रहने वाली १६  वर्षीय तारा डांगी के घुटने में चोट थी, जो उनके चलने और दौड़ने में बाधक बन रही थी। सर्जरी से पहले उनके एक्स-रे में पाया गया कि घुटने की यह विकृति, उनकी दोनों डिस्टल फीमर हड्डियों और प्रॉक्सिमल टिबिया हड्डियों, वैल्गस विकृति के चलते थी।

नारायण सेवा संस्थान में, जहां यह सर्जरी की गई, चिकित्सकों ने बताया कि तारा के मामले में प्री-ऑपरेटिव सॉफ्टवेयर असिस्टेंस से गुजारने और फिर एक ही सिटिंग में दो चरणों में ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया था। पहले चरण में दोनों जांघ की हड्डियों को एक ही बैठक में ऑपरेट किया गया था। दोनों जांघ की हड्डियों (फीमर) को काटने (औसत दर्जे का वेज ओस्टियोटमी) और प्लेट्स व स्क्रू लगाना तय किया गया।

सर्जरी के बाद अगले दिन से फिजियोथेरेपी शुरू की गई और सर्जरी के तीसरे सप्ताह के बाद से तारा चलने जैसी हो गई। सर्जरी के डेढ़ महीने बाद, तारा बहुत आराम से चल रही है; उसके पैर सीधे हैं और सर्जरी के परिणामों से बहुत खुश हैं।

इस प्लानिंग ने ऑपरेटिंग सर्जन को एक ही बैठक में दोनों जांघ की हड्डियों पर करेक्शनल सर्जरी करने में सक्षम बनाया। इसके बाद हड्डी को प्लेटों से कसा गया और और मरीज सर्जरी के तीन सप्ताह बाद ही चलने में सक्षम था। नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष श्री प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि नारायण सेवा संस्थान ने अत्याधुनिक पुनर्निर्माण और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने के अपने मिशन को जारी रखने के लिए खुद को लगातार अपडेट किया है। हमने सॉफ्टवेयर असिस्टेंस प्राप्त विकृति सुधार प्रणाली, प्री-ऑपरेटिव सॉफ्टवेयर नियोजित सहायता, रेडियोग्राफिक छवियों के ३-डी पुनर्निर्माण का उपयोग जैसी नई तकनीकों को शामिल करके करेक्शनल सर्जरी सेवाओं को विस्तृत किया है।

एक अन्य मामला, चंदौली, उत्तर प्रदेश की २० वर्षीय अनुराधा तिवारी का है। उनमें सेरेब्रल पाल्सी के साथ डिस्टल फीमर की तीन आयामी विकृति थी। इसकी करेक्शनल सर्जरी भी एनएसएस में संचालित हुई थी, जिसमें सॉफ्टवेयर असिस्टेंस की मदद ली गई और अब अनुराधा आराम से चलने में सक्षम है, ऑपरेट किए गए शरीर के अंग पर पूरा भार वहन कर सकती है। सर्जरी के दौरान, पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले इलीजारोव रिंग फिक्सेटर सिस्टम की बजाय ऑर्थो-एसयूवी सिस्टम काम में लिया जाता है और फिर निश्चित किए गए समय में विकृति को ठीक करने के लिए सॉफ्टवेयर प्लानिंग की जाती है। फिर रोगी रॉड के नट को मोड़ने के बहुत सरल निर्देशों का पालन करता है जो हड्डी पर लगे होते हैं और विकृत हड्डी धीरे-धीरे सीधी हो जाती हैं।

नारायण सेवा संस्थान, एम.एस. ऑर्थो डॉ. अंकित चैहान ने बताया, ‘हमने प्री-सर्जिकल प्लान के लिए एनएसएस में सॉफ्टवेयर और ऐप द्वारा नई रणनीति के साथ दो जटिल मामलों को ऑपरेट किया है। दोनों करेक्शनल सर्जरी ने मरीजों को सर्जरी के बाद चलने में मदद की। इसके अलावा, टिबिया हड्डियों में शेष रही विकृति को ठीक करने और इलिजारोव विधि द्वारा हड्डी को लंबा करके रोगी की ऊंचाई बढ़ाने के लिए अगला कदम उठाया गया।

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