Tuesday, Nov 26, 2024 | Last Update : 08:15 AM IST
ओडिशा के पूर्व राज्यसभा सांसद , लेखक और एक सामाजिक कार्यकर्ता वैष्णव चरण पारिदा का गुरुवार भुवनेश्वर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। पारिदा लंबे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। वह एक प्रसिद्ध राजनेता, स्तंभकार और एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। इनहोंने उड़ीसा आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1954 के तहत अहम भूमिका निभाई थी।
पारिदा का जन्म 1941 में ओडिशा के जजपुर जिले में हुआ था। उनके पिता जगबन्धु पारिदा कोलकाता की जूट मिल में एक कर्मचारी और एक लोक गायक थे। उनकी मां सुलोचना पारिदा एक गृहिणी थीं। उनकी प्रारंभिक स्कूल शिक्षा मंगलपुर प्राथमिक विद्यालय में हुई थी। मैट्रिक के बाद, वह उच्च अध्ययन के लिए कोलकाता चले गए उन्होंने कोलकाता में बंगाबासी कॉलेज से स्नातक और कोलकाता विश्वविद्यालय से एमए इन पॉलिटिकल साइंस की उपाधि प्राप्त की।
वह 1960 से 1992 तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सदस्य रहे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाईन कर लिया 1 998 तक वह कांग्रेस में रहे लेकिन तत्कालीन पार्टी नेतृत्व के साथ उनके मतभेदों के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दिया। इस पश्चात उन्होंने 1999 में समाजवादी पार्टी दामन थामा। परीडा बीजद के टिकट पर राज्यसभा के लिए जुलाई 2010 में चुने गये थे और उनका कार्यकाल एक जुलाई 2016 को समाप्त हुआ था।
परीडा के निधन पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित कई लोगों ने शोक व्यक्त किया और शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी सहानुभूति जताई है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, ओडिशा प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष निरंजन पटनायक और भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष बसंत पांडा ने भी वरिष्ठ नेता के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
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