Monday, Nov 25, 2024 | Last Update : 06:12 PM IST
लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से आरक्षण का मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है। एक तरफ जहां मोदी सरकार ने आर्थिक रुप से गरीब और पिछड़े वर्ग के सवर्णों को १० फीसदी आरक्षण दिया है वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े समाज को मिलने वाले आरक्षण पर एक बार फिर से विचार करने की वकालत की है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि एससी एसटी वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को बढ़ाए जाने और उस पर विचार करने की जरुरत है।
नीतीश कुमार ने कहा कि आरक्षण की सीमा ५० प्रतिशत ही रहे जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े समाज की आबादी बढ़ गई है लेकिन ५० फीसदी आरक्षण की सीमा तय है। इस संबंध में सरकार के पास जो आंकड़े मौजूद हैं वो १९३१ की जनगणना पर आधारित हैं। इन हालातों में जाति आधारित जनगणना बेहतर रास्ता है, इसे जल्द से जल्द अमल में लाये जाने की जरूरत है ताकि इस पर किसी तरह की संदेह की गुंजाइश न रहे।
वहीं नीतीश ने सवर्ण आरक्षण पर लोगों को सचेत करते हुए कहा कि कुछ लोग सवर्ण आरक्षण पर भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि सवर्ण आरक्षण मिलने से पहले के आरक्षण पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि आज गरीबी के कारण कई लोग पढ़ाई छोड़ देते हैं इसका ख्याल रखते हुए हमने नई योजना की शुरुआत की। नई योजना के तहत यूपीएसी का पीटी पास होने पर १ लाख रुपये मिलेगा वहीं वाहन खरीदने के लिए सरकार 1 लाख रुपये छूट दे रही है।
कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार ने विरोधिय पर्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि आज लोग वोट के लिए घृणा पैदा कर रहे हैं और समाज के अंदर तनाव फैला रहे हैं लेकिन लोग ये जान लें कि नीतीश कुमार को वोट की चिंता नहीं है। हम सिर्फ अपना काम करना जानते हैं।
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