आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम के लिए ‘कॅरियर अपाॅच्र्युनिटीज इन पब्लिक हेल्थ’ विषय पर 1000 से अधिक उम्मीदवारों को दिया परामर्श

Sunday, Dec 22, 2024 | Last Update : 11:54 PM IST

आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम के लिए ‘कॅरियर अपाॅच्र्युनिटीज इन पब्लिक हेल्थ’ विषय पर 1000 से अधिक उम्मीदवारों को दिया परामर्श

सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की समझ और महत्व को जल्द ही उजागर करने के लिए आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम में नामांकन के लिए ‘कॅरियर अपाॅच्र्युनिटीज इन पब्लिक हेल्थ’ विषय पर आधारित एक परामर्श सत्र का आयोजन किया।
May 19, 2021, 6:05 pm ISTNationAazad Staff
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी
  आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी

दुनिया भर में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद उपजे हालात के कारण स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में कार्यरत मौजूदा कार्यबल को जबरदस्त तनाव में ला दिया है। सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पूरी पहुंच नहीं है। कहा जा सकता है कि कोविड-19 ने हमें स्वास्थ्य सेवा से संबंधित कार्यबल की कमी को दूर करने और मजबूत बुनियादी ढांचे की जरूरत को पूरा करने की दिशा में विचार करने पर मजबूर किया है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की समझ और महत्व को जल्द ही उजागर करने के लिए आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम में नामांकन के लिए ‘कॅरियर अपाॅच्र्युनिटीज इन पब्लिक हेल्थ’ विषय पर आधारित एक परामर्श सत्र का आयोजन किया। पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम द जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी, जयपुर द्वारा साझा तौर पर पेश किया जाता है। इस परामर्श सत्र में दुनिया भर से 1000 से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया। परामर्श सत्र का संचालन आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉ. एस डी गुप्ता, प्रोफेसर, सलाहकार (एसडीजी-एसपीएच) डॉ. डी के मंगल और आईआईएचएमआर दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. सुतापा बंद्योपाध्याय ने पैनलिस्ट के तौर पर किया।

आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉ. एस डी गुप्ता ने इस अवसर पर कहा, ‘‘आज भारत एक गंभीर स्थिति का सामना कर रहा है जहां फ्रंटलाइन वर्कर्स पर जबरदस्त दबाव है और हमें लगता है कि यह संख्या मौजूदा स्थिति में लड़ाई लड़ने के लिए पर्याप्त नहीं है। विशेष रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था में मानव संसाधन जुटाने की दिशा में निवेश करने से ही समग्र स्वास्थ्य सेवा, विशेष रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार होगा। कोविड-19 के बाद निश्चित रूप से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अनेक नए अवसरों में वृद्धि हुई है। हालांकि बीमारियों का इलाज अस्पतालों में किया जा सकता है, लेकिन निवारक देखभाल केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा द्वारा प्रदान की जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रति 10,000 लोगों पर 44.5 स्वास्थ्य कर्मियों की सिफारिश की है, जबकि हमारे देश में स्वास्थ्य कार्यबल का घनत्व इसका आधा भी नहीं है। मास्टर आॅफ पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम उन लोगों के लिए कॅरियर का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में फोकस के साथ एक मजबूत कॅरियर बनाना चाहते हैं।’’

डॉ. एस डी गुप्ता ने कहा, ‘‘एमपीएच कार्यक्रम का विस्तृत लक्ष्य छात्रों को आबादी से जुड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर एक व्यापक परिप्रेक्ष्य प्रदान करना है। जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के संयुक्त एमपीएच कार्यक्रम को इस तरह डिजाइन किया गया है कि छात्र वर्तमान और उभरती वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि कोविड-19 महामारी, फ्लू, एड्स, मोटापा, मधुमेह इत्यादि से निपटने में सक्षम हो सकें। साथ ही, वे स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित असमानताओं और बायोटेररिज्म जैसें मौजूदा मुद्दों को दूर करने के लिए तैयार हो सकें। यह प्रोग्राम विश्व स्तर पर प्रशंसित ऑफ-शोर नंबर 1 कार्यक्रम है जो एक अमेरिकी डिग्री प्रदान करता है। बाल्टीमोर में जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के परिसर के अलावा, एमपीएच कार्यक्रम भारत में केवल जयपुर में आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय परिसर में पेश किया जाता है।’’

आईआईएचएमआर दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. सुतापा बंद्योपाध्याय ने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘कुछ साल पहले यह तय किया गया था कि हर जिले में एक मेडिकल हेल्थ कॉलेज होना चाहिए। अगर यह सच हो जाता है तो हर एक मेडिकल कॉलेज में एक जन स्वास्थ्य विभाग हो सकता है। एमपीएच कार्यक्रम के बाद चुने जा सकने वाले तीन डोमेन हैं- एकेडमिक्स, रिसर्च या फिर पब्लिक हेल्थ प्रेक्टिस। स्वास्थ्य के विषय पर भारत से निकलने वाले सभी शोध प्रकाशनों में से मुश्किल से 3.3 प्रतिशत सार्वजनिक स्वास्थ्य के विषय पर केंद्रित हैं। देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य को कैसे बढ़ावा दिया जाए, इस पर अब बहुत जोर दिया जा रहा है। 2009-2010 के बीच हमारे देश ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में वार्षिक शोध कार्यों में 32 प्रतिशत की वृद्धि देखी है।’’

डॉ. सुतापा आगे कहते हैं, ‘‘यह काफी खेदजनक स्थिति है, क्योंकि दो तिहाई प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग के कारण किए गए थे, जिसका अर्थ है कि भारत अपने स्तर पर शोध करने के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है। इसीलिए अब रिसर्च के क्षेत्र में अधिक ध्यान दिया जा रहा है और आज हमारे पास विशिष्ट राज्यों, जिलों, यहां तक कि अपने देश पर शोध करने के लिए सक्षम पेशेवर हैं। बहुत प्रोत्साहन दिया जा रहा है, इसलिए अनुसंधान एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे एमपीएच कार्यक्रम स्नातक तलाश सकते हैं। अनुसंधान में कॅरियर दरअसल नीतियों, शैक्षणिक और कार्यक्रम प्रबंधन आदि को प्रभावित कर सकता है। तीसरा कॅरियर विकल्प एक अभ्यास है, जो सरकारी भी हो सकता है या गैर-सरकारी।’’

प्रोफेसर, सलाहकार (एसडीजी-एसपीएच) डॉ. डी के मंगल ने कहा, ‘‘सार्वजनिक स्वास्थ्य में योग्य पेशेवरों के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है। अगर आप व्यक्तिगत स्वास्थ्य से परे स्वास्थ्य के व्यापक पहलू को देखने का जुनून रखते हैं, विशेष रूप से बड़े पैमाने पर लोगों की मदद करने या उनकी सेवा करने के क्षेत्र में, तो यह सही कॅरियर विकल्प है। वर्तमान दौर में कोविड-19 ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के महत्व पर जोर दिया है। आपदाओं से निपटने के लिए, हमें सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है, जिन्हें प्रशिक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा लागू किया जा सकता है। इस तरह के प्रभावी कदम ही आगे के प्रसारण को रोकते हैं और संचारी रोगों से संबंधित घटनाओं या फैलाव को उलट देते हैं।’’

86 क्रेडिट के साथ मास्टर आॅफ पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम के 2 साल के पूर्णकालिक प्रोग्राम के लिए पात्रता मानदंड - मेडिकल, बीडीएस, बीएएमएस, बीएचएमएस, मैनेजमेंट, माइक्रोबायोलॉजी, बायो टैक्नोलाॅजी, साइंस, काॅमर्स, इकोनाॅमिक्स, कंप्यूटर साइंस, इन्फाॅर्मेशन टैक्नोलाॅजी और अन्य स्वास्थ्य संबंधी विषय मंे ग्रेजुएट इस कार्यक्रम के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, उम्मीदवार के पास हेल्थ सेटिंग्स में 2 साल का कार्य अनुभव होना चाहिए। एमबीबीएस, एमडी, पीएचडी डिग्री वाले उम्मीदवारों को टीओईएफएल और जीआरई में बैठने से छूट दी गई है। यह प्रोग्राम सीईपीएच, यूएसए की ओर से मान्यता प्राप्त है जहाँ एमपीएच का 8वां बैच चल रहा है।

इस प्रोग्राम की फीस 70,000 अमेरिकी डाॅलर है, जो अमेरिका में 1,00,000 डाॅलर तक हो जाती है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों विशेष रूप से भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान, मालदीव के के छात्रों के लिए प्रोग्राम की फीस 22,000 अमेरिकी डाॅलर है। 22,000 डाॅलर के शुल्क में ट्यूशन, यात्रा और बाल्टीमोर में रहना शामिल है और जयपुर में आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी में छात्रावास शुल्क अलग है। एमपीएच कार्यक्रम में शामिल होने वाले छात्रों को आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी जयपुर के सहयोग से द जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा डिग्री प्रदान की जाएगी। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी में पाठ्यक्रम कैम्पस में आयोजित किए जाएंगे, जबकि कोविड-19 के कारण जेएचयू में ऑनलाइन आयोजित किए जाएंगे (हालांकि दोनों देशों में महामारी की स्थिति को देखते हुए निर्णय किया जाएगा)।

कॅरियर की भूमिका- यह पाठ्यक्रम विभिन्न स्थितियों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को व्यापक जिम्मेदारी प्रदान करता है।

एमपीएच कार्यक्रम के बाद तलाशे जा सकने वाले करियर- इसमें हेल्थ एडमिनिस्ट्रेटर्स, मेडिकल एंड हेल्थ सर्विसेज, डिजास्टर मैनेजमेंट आॅफिसेज, पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम मैनेजर्स, एनजीओ मैनेजमेंट, कम्युनिटी सर्विस मैनेजर्स, डिजीज स्पेसिफिक हेल्थ स्पेशलिस्ट, कम्युनिकेशंस मैनेजर फाॅर पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम, कंसल्टेंसी इत्यादि शामिल हैं।

 

...

Featured Videos!