भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी हुए 91 साल के आज : जन्मदिन की बधाई

Thursday, Oct 03, 2024 | Last Update : 08:13 PM IST


भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी हुए 91 साल के आज : जन्मदिन की बधाई

लालकृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। भारतीय जनता पार्टी को भारतीय राजनीति में एक प्रमुख पार्टी बनाने में उनका योगदान सर्वोपरि कहा जा सकता है। वे कई बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। जब भी भारतीय जनता पार्टी के इतिहास की बात होगी देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की चर्चा के बिना वह अधूरी ही रहेगी।
Nov 8, 2018, 12:41 pm ISTLeadersAazad Staff
Lal Krishna Advani
  Lal Krishna Advani

आडवाणी ने ना सिर्फ पार्टी के चुनाव चिन्ह की कल्पना की थी बल्कि ये बात भी कम हो लोगों को पता होगी कि आपातकाल के बाद जब केन्द्र में जनता पार्टी की संयुक्त सरकार बनी थी उस वक्त उसमें जनसंघ के प्रतिनिधि के रुप में अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे।आडवाणी को तभी ये बात महसूस होने लगी थी कि जनता पार्टी के कई नेताओं ने दिल से जनसंघ को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी से भी अपनी आशंका जाहिर की और नई पार्टी बनाने का आग्रह किया। जाहिर तौर पर पूरी जिम्मेदारी आडवाणी पर आयी। फिर चुनाव चिह्न की बात आई और आडवाणी ने ही कमल का फूल चुना।

देश के सातवें उप-प्रधानमंत्री के तौर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में अपनी सेवाएं देने वाले लालकृष्ण आडवाणी वह भारतीय राजनेता हैं जिनका जन्म अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में 8 नवंबर 1927 को कृष्णचंद डी आडवाणी और ज्ञानी देवी के घर हुआ था। 1998 से लेकर 2004 तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में गृहमंत्री थे। लालकृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के सह-संस्थापक और वरिष्ठ राजनेता है जो 10वीं और 14वीं लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता रहे। आडवाणी के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1942 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) के वालंटियर के तौर पर हुई थी। राजनीति के शिखर पर पहुंचे लालकृष्ण आडवाणी को साल 2015 देश के दूसरे सबसे बड़े सिविलयन अवॉर्ड पदम विभूषण से सम्मानित किया गया।

राम मंदिर आंदोलन के दौरान देश में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय नेता होने और संघ परिवार का पूरा आशीर्वाद होने के बावजूद आडवाणी ने 1995 में वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार ऐलान करके सबको हैरानी में डाल दिया था। उस वक़्त आडवाणी खुद प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन आडवाणी ने कहा कि भाजपा में वाजपेयी से बड़ा नेता कोई नहीं हैं। पचास साल तक वे वाजपेयी के साथ नंबर दो बने रहे। पचास साल से ज़्यादा के राजनीतिक जीवन के बावजूद आडवाणी पर कोई दाग नहीं रहा 

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