Friday, Nov 22, 2024 | Last Update : 12:10 PM IST
करवा चौथ कथा
एक थी वीरो कुड़ी जो सात भाइयो की इकलोती बहन थी उसके सात भाई उससे बहुत प्यार करते थे जब उनकी इकलोती बहन वीरो कुड़ी की शादी हो गयी थो करवा-चौथ का व्रत आया | उसने अपनी सातो भाभियों के साथ करवा-चौथ का व्रत रखा इस व्रत मे पानी नहीं पिया जा सकता है, जब तक चाँद को रात मे अरक न दे दिया जाये, वीरो के भाइयो को चिंता हो गयी की उनकी लाडली बहन पानी और खाना नहीं खाया है और उसको बहुत प्यास लगी होगी होगी तो वीरो के भाइयो नै मिलकर एक योजना बनायीं और घास और फूस इकठा करके एक टीला बनाया और उसमे आग लगा दी और अपनी बहन वीरो के पास गये और कहने लगे बहन तेरा चंद्रमा निकल आया है और अरक देके पानी पी लो वीरो कहने लगी की मेरी भाभियों का चंदमा तो निकला नही है, तो मेरा चंद्रमा कैसे निकल आया है भाइयो नै कहा तेरा चंद्रमा निकल आया है, तो भाइयो के समझाने पर वीरो कुड़ी नै अरक देकर पानी पी लिया,जैसे ही उसने पानी पिया तो उसके पति का सिर सुइयों से भर गया और वह बेहोश हो गया |
ऐसा देखकर वीरो कुड़ी नै अपने पति का सिर अपनी गोद मे रख लिया और धीरे-धीरे सुइया निकालने लगी |जब दुबारा करवा चौथ का व्रत आया तो करवा बिकने नीचे आया |
करवा ले लो, करवा ले लो, करवा ले लो, करवा ले लो |
ऐसा सुन कर दासी बोली रानी जी नीचे करवा बिकने को आया है,आप जा कर ले आओ तब तक मे राजा जी का सिर अपनी गोद मे रखती हू रानी जब करवा लेने नीचे गयी तो दासी ने राजा की आखरी सुई निकाल दी राजा होश मे आते ही दासी को रानी समझ गये जो रानी थी वो दासी हुई और दासी रानी हुई ,जो रानी थी वो दासी हुई और दासी रानी हुई|
जब रानी ऊपर आयी तो देखा राजा जी ने दासी को ही रानी समझ लिया है और उसको दासी और रानी तब से दासी के काम करने लगी काम काम करते-करते वह मुह मे बोलती थी जो रानी थी वो दासी हुई और दासी रानी हुई | जो रानी थी वो दासी हुई और दासी रानी हुई जब राजा ने जब ये सुना तो उसने रानी से पूछा की दासी यह मुह मे क्या बोलती है तो उसने कहा पागल है ऐसी हे कुछ बोलती रहती है | एक दिन जब राजा शिकार खेलने के लिये जाने लगा तो उसने रानी से पूछा तेरे लिये क्या लाऊ और दासी से भी पूछा की तुम्हारे लिये क्या लाऊ तो रानी ने कहा मेरे लिये गहने और सजने का सामान ले के अयिगा और दासी ने कहा मेरे लिये गुडिया ले के आना जब राजा से शिकार से वापस आयी तो रानी के लिये गहने और दासी के लिये गुडिया लाया | रानी गुडियों के साथ खेलती और बोलती जो रानी थी वो दासी हुई और दासी रानी हुई | जो रानी थी वो दासी हुई और दासी रानी हुई |
राजा ने यह सुनकर रानी से पूछा यह क्या बोलती है रानी के उतर न देने पर राजा ने दासी को अपने पास बुलाकर कर पूछा तुम ये क्या बडबड करती रहती है हो तो रानी ने कहा मे हे आपकी रानी हू और सारी कहानी सुना दी की वो करवा-चौथ का दिन था मे करवा लेने नीचे गयी थी दासी ने आपकी आखरी सुई निकाल दी और आप इसी ही अपनी रानी समझ बैठे |राजा ये सब सुन कर क्रोधित हो गया, और दासी को कारावास मे डलवा दिया, तो जो रानी थी वो रानी हुई और जो दासी थी वो दासी हो गयी |
करवा चौथ अरक देते समय गीत
सीर धडी ,
पैर कड़ी,
अरक देन्दी,
सरव सुहागन
चौबारे खड़ी|
सर्व सुहागन कर्वड़ा,
ए कटती ना तेरी ना,
कुम्भ च्राख्रा फेरी ना,
ग्वान्द पैर पायीं ना,
सुई च धागा पाई ना,
रुथ्दा मनियें ना,
सुथरा जगाईं ना,
बाहें प्यारी वीरा,
चंद चद्दे ते पानी पीना,
ले वीरो कुरिये कर्वड़ा
ले सर्व सुहागन कर्वड़ा|
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English
Karwa Chauth song
song is sung when the women get together to perform pooja add sit in a circle to listen to Karwa chauth Katha and and sing the following song while rotating the thalis containing Baya.
Sarv Suhagan Karwada,
Aye Katti Naa Teri Naa,
Kumbh Chrakhra Feri Naa,
Gwand Pair payeen Naa,
Sui Cha Dhaga Payi Naa,
Ruthda maniyen Naa,
Suthra Jagayeen Naa,
Bahaein Pyari Veera
Chan Chadde te Pani Peena,
Lay Veero Kuriye Karwara,
Lay Sarv Suhagan Karwara.