हिंदी के प्रसिद्ध कवि सोहन लाल द्विवेदी

Wednesday, Dec 25, 2024 | Last Update : 01:00 AM IST


हिंदी के प्रसिद्ध कवि सोहन लाल द्विवेदी

सोहन लाल द्विवेदी की कविताओं में वो भाव हुआ करते थे जिनके हरिवंशराय ‘बच्चन’ भी कायल हो जाते थे। राष्ट्रकवि के तौर पर विखायात सोहन लाल जी को पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है।उनके द्वार महात्मा गांधी के सम्मान में लिखा गया खादी गीत आज भी लोकप्रिय है जिनके होल कुछ इस प्रकार है खादी के धागे-धागे में अपनेपन का अभिमान भरा। माता का इनमें मान भरा……..।
May 20, 2019, 12:22 pm ISTIndiansAazad Staff
Sohan Lal Dwivedi
  Sohan Lal Dwivedi

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती” इस पंक्ति को हमने कई बार सुना और पढ़ा होगा। इतना ही नहीं कई अवसर पर इस कविता को हरिवंश राय बच्चन जी के नाम के साथ साझा भी किया जाता रहा है। और शायद यहीं कारण है कि अधिकांश लोगों को ये लगता है कि इस पंक्ति के रचयिता हरिवंश राय बच्चन जी है। लेकिन दोस्तों इस कविता के रचयिता हरिवंश राय बच्चन जी नहीं बल्कि महान कवि, सोहन लाल द्विवेदी जी है। आपको बता दें कि इस बात की खुद पुष्टि सदी के नायक अमिताभ बच्चन जी ने भी फेसबुक पोस्ट के जरिए साझा की  है।

हिंदी के प्रसिद्ध कवि सोहन लाल द्विवेदी ऊर्जा और चेतना से भरपूर थे। राष्ट्रीयता से भरपूर रचनाओं के लिए सोहनलाल द्विवेदी का नाम सबसे पहले लिया जाता है। सोहन लाल द्विवेदी  के बारे में डॉ॰ हरिवंशराय ‘बच्चन’ ने एक बार लिखा था- जहाँ तक मेरी स्मृति है, जिस कवि को राष्ट्रकवि के नाम से सर्वप्रथम अभिहित किया गया, वे सोहनलाल द्विवेदी थे। गाँधीजी पर केन्द्रित उनका गीत 'युगावतार' या उनकी चर्चित कृति 'भैरवी' की पंक्ति 'वन्दना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो, हो जहाँ बलि शीश अगणित एक सिर मेरा मिला लो' स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सबसे अधिक प्रेरणा गीत था।

सोहन लाल द्विवेदी का जन्म १९०६ में फतेहपुर, उत्तर प्रदेश के बिन्दकी नामक गाँव में हुआ। सोहन लाल द्विवेदी की शिक्षा हिंदी में एम.ए. रही। इन्होंने संस्कृत का भी अध्ययन किया। द्विवेदी जी हिन्दी के राष्ट्रीय कवि के रूप में प्रतिष्ठित हुए। राष्ट्रीयता से संबन्धित कविताएँ लिखने वालों में इनका स्थान मूर्धन्य है। महात्मा गांधी पर इन्होंने कई भाव पूर्ण रचनाएँ लिखी है, जो हिन्दी जगत में अत्यन्त लोकप्रिय हुई हैं।  इन्होंने  गांधीवाद के भावतत्व को वाणी देने का सार्थक प्रयास किया है तथा अहिंसात्मक क्रान्ति के विद्रोह व सुधारवाद को अत्यन्त सरल सबल और सफल ढंग से काव्य बनाकर 'जन साहित्य' बनाने के लिए उसे मर्मस्पर्शी और मनोरम बना दिया।

सन् १९४१ में आई ‘भैरवी, उनकी प्रथम प्रकाशित रचना थी। उनकी महत्वपूर्ण शैली में पूजागीत, युगाधार, विषपान, वासन्ती, चित्रा जैसी अनेक काव्यकृतियाँ सामने आई थी।  सोहन लाल द्विवेदी जी को पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। १ मार्च १९८८ को राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी का निधन हो गया।

सोहन लाल जी की प्रमुख्य रचनाएं -

 •    भैरवी 

 •    पूजागीत सेवाग्राम

•    प्रभाती

•    युगाधार

•    कुणाल

•    चेतना

•    बाँसुरी

•    दूधबतासा।

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