Thursday, Nov 14, 2024 | Last Update : 09:41 PM IST
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। ये मान्यता है कि ‘कत’ नाम के एक प्रसिद्ध महर्षि थे, उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे।
कहा जाता है कि अगर मां कात्यायनी की पूजा अविवाहित कन्याएं करती हैं तो उनके शादी के योग जल्दी बनते है। कहते हैं इनकी अराधना से भय, रोगों से मुक्ति और सभी समस्याओं का समाधान होता है।
इन्होंने भगवती की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी. उनकी इच्छा थी मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली, जिसके बाद से मां का नाम कात्यायनी पड़ा. यह दानवों, असुरों और पापी जीवधारियों का नाश करने वाली देवी भी कहलाती हैं।
आज के दिन अगर आप मां कि उपासना करते है तो लाल रंग के वस्त्रों को धारण करे। नवरात्र के छठे दिन लांल रंग बहुत शुभ माना जाता है। ये आदिशक्ति का प्रतीक होता है। देवी कात्यायनी की पूजा के दिन लाल वस्त्र पहनने चाहिए.
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य माना जाता है। यह स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। दायीं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाँयी तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है।
देवी कात्यायनी की पूजा करते समय इन मंत्रों का जाप करना चाहिए
चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना,
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी.