Sunday, Dec 22, 2024 | Last Update : 07:09 PM IST
डॉ लक्ष्मी सहगल ( २४ अक्टूबर १९१४ – २३ जुलाई २०१२ ) गरीब मरीजो की मसीहा थी ( मम्मी )
कैप्टेन डॉ लक्ष्मी सहगल को गरीब मरीजो का इतना ध्यान रहता था की दिल का दौरा पडने से करीब आर्यनगर के क्लिनिक मे बैठकर मरीजो को देख रही थी यह कहना है उनकी बेटी और माकपा नेता तथा पूर्व संसद सुभास्नी अली की १९५२ से कानपुर मे प्रक्टिस कर रही कैप्टेन डॉ लक्ष्मी सहगल का पहला प्यार उनका अपना काम था, उनका जन्म २४ अक्टूबर १९१४ को मद्रास मे हुआ था |
उनके पिता डॉ एस स्वामी नाथन एक मशहूर वकील थे और मद्रास हाई कोर्ट मे वकालत करते थे | उनकी माता अम्मू स्वामीनाथन एक समाज सेवी थी और आजादी अन्दोलेनो मे बढ-चढ़ कर हिसा लिया करती थी | कैप्टेन डॉ सहगल शुरू से ही बीमार गरीबो के इलाज के लिये परेशान देखकर दुखी हो जाती थी |
इसी के मददेनज़र उन्होने गरीबो की सेवा के लिये चिकत्सा पेशा चुना और १९३८ मे मद्रास मेडिकल कॉलेज से एम् बी बी इस की डिग्री हासिल की | वह महिला रोग विशेषज्ञ थी | वह १९४० मे सिंगापुर गई खासकर भारतीये गरीब मजदूरो के इलाज के लिये वहा क्लिनिक खोला |
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जब २ जुलाई १९४३ को सिंगापुर आये और आज़ाद हिंद फ़ौज के महिला रेगिमेंट की स्थापना की और बात की तो लक्ष्मी नाथन ने खुद को आगे किया और रानी लक्ष्मी बाई ब्रिगेड की कैप्टेन बनी | इसे पहले १९४२ मे अंग्रेजी सेना ने जापानी फौज के सामने समपर्ण कर दिया १९४७ मे कर्नल प्रेम कुमार सहगल से लाहौर मे विवाह किया और उसके बाद वेह कानपुर मे ही रहने लगी और यही मेडिकल की प्रेक्टिस करने लगी | १९७१ मे बजापा की सदयस्ता ग्रहण की और राज्यसभा मे पार्टी का प्रतिनिधित्व किया |
२००२ मे राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हे हार का सामना करना पड़ा | २३ जुलाई २०१२ को सोमवार के दिन ९७ की आयु मे उनका निधन हो गया | इस घटना से कानपुर मे लोगो मे दुःख व्याप्त है क्योकि वह हमेशा समाजसेवा और मरीजो की सेवा मे लगी रहती थी | मरीज के पास इलाज के लिये पैसा है या नही बस वह इलाज शुरू कर देती थी |