Friday, Nov 22, 2024 | Last Update : 08:07 AM IST
शिवजी का नाम शिवाजी शहाजी भोसले था, उनका जन्म अप्रैल, 1627 तथा शिवाजी महाराज की मृत्यु 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग (पुणे) में हुई थी ।
उनके पिता का नाम शहाजी उनकी माता का नाम जीजाबाई था, उनका विवाह सन १४ मई १६४० सइबाई के साथ लाल महल पुणे में हुआ था । १९ फरवरी १६३० शिवनेरी दुर्ग में शाहजी भोसले की पहली पत्नी जीजाबाई की शिवाजीमहाराज का जन्म हुआ था । शिवाजी का बचपन राजा, राम, गोपाल, संतों तथा रामायण , महाभारत की कहानियों और सत्संग में बीता | शिवाजी जी बचपन से ही सभी कलाओ में बहुत माहिर थे, उन्होंने बचपन में ही युद्ध तथा राजनीती की शिक्षा ले ली थी | शिवाजी पर अपनी माता जीजाबाई, समर्थ गुरुरामदास और संत तुकाराम जी का काफी पृभाव था ।
शिवाजी भोंसले उपजाति के थे, जोकि मूलतः कुर्मी जाति से संबध्दित हे | कुर्मी जाति के लोग पृरया कृषि से संबध्दित कार्य ही करते है | उनके पिता बहुत बड़े शूरवीर थे जिनकी दूसरी पत्नी तुकाबाई मोहिते थीं | शिवाजी की माता जी जीजाबाई एक असाधारण पृतिभाशाली थी और उनके पिता एक शक्तिशाली सामन्त थे | शिवाजी महाराज पर उनके माता-पिता का बहुत पृभाव पड़ा | बचपन से ही शिवाजी युग के वातावरण और घटनाओं को भली-भाति समझने लगे थे तथा बचपन से ही उनमें स्वधानिता की आग पृजवलित हो गयी थी |
उन्होने कुछ स्वामिभक्त साथीयो तथा राष्टृ पर जान देने वाले लोगो की एक सेना बनायीं और जैसे-जैसे उनकी आयु बड़ी उनमें विदेशी शासन की बेड़ियाँ तोड़ फेंकने का उनका संकल्प बढ़ गया | सन १६७४ तक तो शिवजी ने अपना सारे पृदेशो पर अधिकार कर लिया था, स्वतंत्र हिन्दू राष्टृ की स्थापना के बाद शिवाजी का अभिषेक करना चाहते थे लेकिन शूद्र जाति के होने की वजहें से ब्राह्मणो ने इस बाद का विरोध किया । शिवाजी ने इस चुनौती को भी स्वीकार किया ओर राज्याभिषेक के १२ दिन बाद उनकी माता की मृत्यु हो गयी ।इस कारण से उनका अभिषेक दुबारा 4 अक्टूबर 1674 को हुआ |
शिवाजी महाराज ने 16-17 वर्ष की आयु में ही मावल जाती के लोगों को इकट्ठा कर अपने आस-पास के किलों पर हमले श्रु कर दिए और इस पृकार शिवाजी महाराज ने एक-एक करके अनेक किले जीत लिये जिनमें सिंहगढ़, जावली कोकण, औरंगाबाद और सुरत के किले सभी पृसिद्ध है । इसी पृकार उन्होने काफी पृदेशो पर अपना कब्ज़ा कर लिया ।
सन १६७४ जून में उन्हें सिहासन पर मराठा राज्य का संस्थापक बना कर बैठाया गया ओर शिवाजी को छत्रपति की उपाधि दी गयी । छत्रपति शिवाजी के साहस के बहुत से किससे मशहूर है उसमें से एक किस्सा यह भी है :-
एक समय की बात है जब एक दिन पुणे के करीब नचनी गाँव में एक बहुत बड़े भयानक चीते का आतंक छाया हुआ था, चीता अचानक ही कही से भी हमला करता था और जंगल में गायब तथा ओझल हो जाता था, गाँव के सभी लोग डरे हुए अपनीसमस्या लेकर शिवाजी महाराजके पास पहुंचे ।
"हमें इस विशाल और भयानक चीते से बचाइए, यह चीता कितने बच्चों को ही मार चुका है और ये रात में आता है जब हम सब सो रहे होते है"शिवाजी ने उन्हे सतवना देते हुए कहा कि "आप लोग बिलकुल भी चिंता मत करिए, मैं यहाँ आपकी मदद करने के लिए समर्पित हूँ" शिवाजी अपने सैनिको को साथ लिया और जंगल में चीता मरने के लिए निकल पड़े बहुत ढूँढने के बाद जैसे ही सामने चीता आया सब सैनिक डर कर पीछे हट गए लेकिन शिवाजी महाराज बिलकुल भी नही डरे और उस चीते पर टूट पड़े और पलक झपकते ही उसे मार गिराया, शिवाजी के इस सहस को देख कर गाँव वाले लोग बहुत खुश हो गए और "जय शिवाजी" के नारे लगाने लगे ।
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