Saturday, Nov 16, 2024 | Last Update : 10:02 AM IST
अरविन्द केजरिवाल ऐसे आदमी है जो सरल पैंट और शर्ट और रेनॉयड्स का पेन डाले अपनी जेब में घूमते रहते है अरविन्द हमेशा ही मैट्रो से ही सफ़र करते है । अरविन्द के नाना जी पूर्वी दिल्ली के स्लम में रहने वाले थे जो राशन के सस्ते अनाज से गुजरा करने वाले मध्यम परिवार के थे है एक समय उनका राशन कार्ड खो गया और उन्होने डुप्लीकेट राशन कार्ड के लिये जनवरी २००४ में अर्जी दी नियम के अनुसार उन्हे १० दिनों में राशन कार्ड मिलना चहिये था लेकिन ३ महीने हो गये लेकिन उनको राशन कार्ड नही मिला क्योकि उन्होने अभी तक कुछ ई घुस नही दी थी सरकारी करमचारियो को और उनको सरल सवभाव के कारण उन्हे सरकारी दफ्तर में भी घुसने भी नही दिया जा रहा था, और साथ ही उनके सारे दोस्त कह रहे थे बिना घूस दिये राशन कार्ड बनाना मुश्किल होगा क्यों कि इस देश का कुछ नही हो सकता है मतलब भारत में कुछ नही हो सकता है तभी उनके नाना जी ने कहा परिवर्तन लाना होगा, अरविन्द केजरीवाल को यह बात प्रभावित करी , परिवर्तन उन्होने राईट टू इनफार्मेशन के लिये एप्लीकेशन दी कि क्यों नही अभी तक उनको राशन कार्ड नही मिला उनके एप्लीकेशन देते ही चौथे दिन फ़ूड इंस्पेक्टर उनके घर पैर आए कहते हुई कि उनका राशन कार्ड कब का बन गया है और वो कब आ रहै है लेने और उन्होने उनको अपने दफ्तर में बुलाया और चाय भी पेश की ।
अचानक ही ऐसा लगा जैसे उनके नाना जी उनके लिये ख़ास आदमी हो गये और उन्होने उनको अपनी एप्लीकेशन भी वापस लेने को कहा इस तरह से अरविन्द ने लोगो को अपनी सोच बदलने को प्रेरित किया |
केजरीवाल हरियाणा के छोटे से शहर हिसार से ईट खरगपुर १९८५ में मेडिकल एंगनीरिंग की और ईट १९८९ सेइ ग्रेजुएट होने के बाद टाटा स्टील जमशेदपुर में गये जबकि उस समय जायदा से जायदा लोग नौकरी के लिये विदेश जाते थे लेकिन केजरीवाल इस देश के लिये कुछ करना चाहते थे वो मदर टेरेसा से बहुत प्रभावित थे उन्होने रामकृष्ण मिशन जो कोलकाता में है ज्वाइन किया और फिर हरियाणा में नेहरू युवा केंद्र में जोई किया उन्होने देखा किस इस भाग में भारत के कई लोग बहुत पिछड़े हुए है । १९९५ में केजरीवाल ने इनकम कमीशनर्स आफिस दिल्ली में अस्सिटैंट कमिसिनेर जोइन किया । सन २००० में केजरी और उनके दोस्तों ने परिवर्तन करके किया जिसे कोई भी किसी लोग जो घूस नेही दै सकते किसी सरकारी करमचारी को और कोई भी उनको घूस देने कई लिये जबर्दस्ती नही कर सकता है ,और यह भी कहा कोई भी आयकर विभाग में घूस न दै और ऐसा करने में कोई समस्या हो तो वह परिवर्तन के लोगो को संपर्क करे । परिवर्तन ने अपना कार्यलय पूर्वी दिल्ली के सुंदरनगरी के स्लम में खोला । अरविन्द को रामोन मैग्सायसाय पुरस्कार २००६ में मिला उनकी पत्नी सुनीता और दो बच्चो का भी बहुत साथ मिला अरविन्द नै आयकर विभाग २००६ में छोड़ दिया ।