Anjali Gopalan(अंजलि गोपालन )

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Anjali Gopalan (अंजलि गोपालन )

Anjali Gopalan(अंजलि गोपालन ) एक लड़की जिसने पत्रकारिता में नाम कमाना चाहा | अपनी कलम की ताकत से समाज को एक नयी दिशा देना चाहती थी पर अचानक ही एच.ई.वी से प्रभावित लोगों के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया | यहाँ तक की माँ नहीं बनने का फैसला कर लिया क्यूंकि जीवन का लक्ष्य था पीड़ितों की मदद करना |
Jun 12, 2011, 7:25 pm ISTIndiansSarita Pant
Anjali Gopalan
  Anjali Gopalan

अंजलि गोपालन
एक लड़की जिसने पत्रकारिता में नाम कमाना चाहा | अपनी कलम की ताकत से समाज को एक नयी दिशा देना चाहती थी पर अचानक ही एच.ई.वी से प्रभावित लोगों के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया | यहाँ तक की माँ नहीं बनने  का फैसला  कर लिया क्यूंकि जीवन का लक्ष्य था पीड़ितों की मदद करना | आज वह जिस मोकाम  पर है यहाँ तक पहोचने के लिए उन्होंने मानसिक  व सामाजिक तौर  पर काफी संघर्ष किया है | आज से १७ साल पहेले जब अंजलि अमेरिका से  लोट कर भारत में अपने काम की शुरुवात की तो ऐसा लगा कि वह जैसे पत्थर पर सर घिस रही है | भारत की जो संस्कृति है और जीवन जीने का जो सामाजिक ढाचा है उसमें खुलापन कम और नैतिक विश्वास का आधार ज्यादा है |

ऐसे में अंजलि ने एच.ई.वी व एड्स पीधितों के लिए काम करना शुरू किया तोह उनके मनन में ख्याल आया की क्यूँ न लोग एच.ई.वी के संपर्क में  न आये | इसकी शुरुवात उन्होंने गृहिनियों के साथ की | घर घर जाकर महिलाओं को इस बात के  लिए तैयार करना कि वे सेक्स के दोरान अपने पत्तियों को कंडोम का इस्तेमाल करवाए | ये काम आसान नहीं था क्यूंकि कम ही  महिलाएं पूछती थी कि  हम किसी और के साथ नहीं बल्कि अपने पति के साथ सम्बन्ध कायम करतें है | फिर हमारे बीच कोई बर्रिएर क्यूँ ? अंजलि कहेती है ऐसे प्रशनों का उत्तर देना और सामने वाले को संतुष्ट करना था जो बहोत ही मुश्किल काम था लेकिन अंजलि ने भी कमर कस ली थी की उन्हें सफलता पानी थी और इसका नतीजा है  नाज फाउनडेशन इस फाउनडेशन का तालुक सिर्फ एच ई वी + स्त्री और पुरुषों से  ही नहीं बल्कि बच्चें व हर उस व्यक्ति के साथ है जिसको हमारी ज़रुरत है |

पत्रकारिता से आगे :-
राजनीति  शास्त्र  में एम् ए के साथ आई आई एम् सी से पत्रिकारिता में इनटरनेशनल डेवेलपमेट में पी जी डिपलोमा करने बाद अंजलि ने पी.टी. आई व दूरदर्शन में काम किया पर अपने कम से उन्हें संतुष्टि नहीं हुई | उसके बाद उन्होंने अमेरिका की ओर रुख किया | वहा जाकर पत्रकारिता से कुछ करने कि योगना बनाई येह ई वी + लोगो के लिये उन्हे सामाजिक व मानसिक तौर  पर मज़बूत करने के लिये काम करना  शुरू किया | बाहर के लोगों के साथ काम करने के बाद एक दिन अंजलि को अचानक लगा कि उसके इस काम कि ज़रुरत यहाँ से ज्यादा उसके अपने भारत को है तो इसलिए वह भारत लोट आई | सबसे पहले एच.ई.वी से प्रभावित लोगो तक पहुची और इस तरह हज़ारो हज़ार पीढित अंजलि से मिलकर आज बिना किसी भेद भाव के जी रहे है | नाज के आश्रम में इस वक्त २८ बच्चे है | कुछ अनाथ तो कुछ एच.ई.वी से प्रभावित है | इन बच्चो को खाना , पढाई  और दूसरी चीज़ें बिलकुल मुफ्त उपलब्ध कराइ जाती है | अंजलि हर रोज़ इन बच्चो के साथ और यहाँ इलाज के लिये आने वाले स्त्री, पुरुष के साथ समय गुज़रती है |

अंजलि का कहना है कि यही उसका परिवार है और उसकी हर ज़रुरत को पूरा करना उसका लक्ष्य है और उनके इस फैसले में उनके पति व परिवार वालो ने पूरा थ दिया | नाज को चलने के लिये पहेले उनके पिता ने उनकी सहायता की और आज देश ही नहीं बल्कि विदेशो से भी आर्थिक सहायता मिल रही है | अंजलि एड्स पीढित को  मुफ्त शिक्षा देने के साथ साथ एड्स जागरूकता को लेकर जगह जगह कैंप लगाती है |

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