वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो एक बार फिर से राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए है। वे दोबारा छह साल के लिए वेनेजुएला के राष्ट्रपति बन गए हैं। चुनाव में मतदान प्रतिशत की बात करे तो इन्हे कम वोट मिले। वहीं विपक्ष ने भी इस चुनाव का बहिष्कार किया और चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं।जबकि प्रशासन ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया स्वतंत्र और निष्पक्ष रही लेकिन ज्यादातर विपक्षियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था।
रविवार को हुई लगभग 90 फीसदी मतगणना में मदुरो (55) को 58 लाख वोट (67.7 फीसदी) मिल चुके थे। जबकि प्रमुख विपक्षी उम्मीदवार हेनरी फाल्कन को 18 लाख वोट (21.2 फीसदी) हासिल हुए। बता दें कि ये चुनाव दिसंबर 2018 में होने थे लेकिन राष्ट्रीय संविधान सभा ने ये चुनाव पहले ही करा दिए, जिसके अधिकांश सदस्य मदुरो के समर्थक हैं। चुनाव को पहले कराए जाने की वजह विरोधी पक्ष 'लोकतांत्रिक एकता गठबंधन' का कहता है कि चुनावों के वक़्त को इसलिए बदला गया है ताकि विपक्षी दलों के बीच चल रहे मतभेदों का फ़ायदा उठाया जा सके।
गौरतलब है कि निकोलस मादुरो की राजनीति में वेनेज़ुएला पर आर्थिक संकट सालों से मंडरा रहा है। वेनेज़ुएला पर करीब 14,000 करोड़ डॉलर यानी 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक का विदेशी कर्ज़ है। साल 2014 में तेल के दामों में गिरावट आने की वजह से वेनेज़ुएला को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा क्योंकि वेनेज़ुएला का मुख्य उत्पाद ही तेल निर्यात है। इसके अलावा ज़्यादातर चीजों को बाहर से आयात करना पड़ता है।