कोरिया की मशहूर विदुषी एवं टैगोर साहित्य की प्रसिद्ध अनुवादक और विशेषज्ञ किम यांग शिक को 14 मार्च को भारतीय साहित्य के विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए मानद फेलोशिप से सम्मानित किया जाएगा।
बता दें कि किम यांग साहित्य की विशेषज्ञ हैं। उन्होंने गीतांजलि का कोरियाई भाषा में अनुवाद किया है। इसके अलावा उन्होंने टैगोर के नाटकों का भी अनुवाद किया है और साहित्य अकादमी के प्रथम सचिव कृष्ण कृपलानी द्वारा टैगोर पर लिखित किताब का भी कोरियाई भाषा में अनुवाद किया है। वह भारत के साहित्यिक कर्क्रमों में आती रही हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का इंटरव्यू भी लिया है।
किम यांग का जन्म चार जनवरी 1931में हुआ। ये टैगोर सोसाइटी की संस्थापक, अध्यक्ष और इंडिया आर्ट म्यूजियम की संस्थापक निदेशक हैं।
सूत्रओं से मिली जानकारी के मुताबिक दो साल पहले किम यांग को यह फेलोशिप देने की घोषणा की गयी थी पर अस्वस्थ होने के कारण वह यह सम्मान लेने सकीं थी।
इसमें एक समय में अधिकतम दस विदेशी लेखको को ही यह सम्मान दिया जा सकता है जबकि भारतीय लेखकों में अधिकतम 21 को यह सम्मान दिया जाता है। वर्ष 1974 में इस सम्मान की शुरुवात हुई थी। बतादें कि अबतक 13 विदेशी लेखकों को ये सम्मान मिल चुका है।